बिलासपुर 18 नवंबर 2024।बिलासपुर सरकंडा थाने में पदस्थ सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) का तबादला हुए एक महीना बीत चुका है, लेकिन वह अभी भी थाने में बने रहने पर अड़े हुए हैं। एसपी कार्यालय से तबादला आदेश जारी होने के बादउन्हें लाइन अटैच किया गया था, परंतु इसके बावजूद वह सरकंडा थाने से अपनी पोस्ट छोड़ने को तैयार नहीं हैं। एएसआई के थाने में बने रहने की वजह से पुलिस महकमे में चर्चाओं का बाजार गरम है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार क्या वजह है जो उन्हें थाने से दूर जाने नहीं दे रही है। कुछ लोग इसे एएसआई की व्यक्तिगत पसंद या थाने में उनके संबंधों से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि कुछ इसे उच्च अधिकारियों की उदासीनता का परिणाम मान रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, एएसआई के तबादले का आदेश एक महीने पहले जारी किया गया था, जिसके तहत उन्हें लाइन अटैच किया गया था। परंतु थाने में उनकी मौजूदगी पर कोई कार्रवाई न होने के कारण मामला चर्चित बना हुआ है। यह भी कहा जा रहा है कि एएसआई का थाने से मोह न छूटने का कारण उनका किसी खास मामले या सुविधा के प्रति झुकाव हो सकता है। ऐसे में अधिकारी भी इस मामले पर मौन बने हुए हैं, जिससे स्थिति और जटिल होती जा रही है।
पेट्रोलिंग पर चर्चित आरक्षक की तैनाती
सूत्रों के मुताबिक सरकंडा थाने में एक और मामला चर्चा में है। यहां एक आरक्षक, जिस पर पहले वसूली के आरोप लग चुके हैं, को पेट्रोलिंग ड्यूटी पर तैनात कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, इस आरक्षक को पहले सिरगिट्टी थाने में वसूली की शिकायतों के कारण लाइन अटैच किए गया था। जिसके बाद इसे लाइन से सरकंडा थाना पदस्त किया गया है।लेकिन अब उसे पेट्रोलिंग ड्यूटी पर लगाकर एक बार फिर वसूली की संभावनाओं को जन्म दिया गया है। वही जानकारों की माने तो पेट्रोलिंग पर जाते ही इस आरक्षक ने अपनी पुरानी आदतें फिर से शुरू कर दी हैं और वसूली में सक्रिय हो गया है।
विभागीय अधिकारियों द्वारा इस पर ध्यान न देने से आम जनता में असंतोष बढ़ रहा है। लोगों का कहना है कि ऐसे मामलों में पारदर्शिता और अनुशासन के साथ कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मौन हैं। इसका नतीजा यह हो रहा है कि आम जनता का पुलिस पर भरोसा कम हो रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिरकार किस दबाव में एक चर्चित आरक्षक को पेट्रोलिंग ड्यूटी पर लगाया गया है?
अनुशासन पर उठ रहे सवाल
पुलिस विभाग में अनुशासन और नियमों के पालन को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। यह मामला भी इस ओर इशारा करता है कि नियमों के पालन में कहीं न कहीं ढील दी जा रही है। चाहे वह तबादले के बाद भी एएसआई का थाने में बने रहना हो या फिर विवादित आरक्षक की पेट्रोलिंग ड्यूटी पर तैनाती, दोनों ही मामले विभागीय कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहे हैं। आम जनता को इस पर सख्त कार्रवाई की अपेक्षा है ताकि पुलिस का विश्वास बना रहे और कानून-व्यवस्था बेहतर हो सके।
सरकंडा थाने की स्थिति यह स्पष्ट करती है कि अनुशासनहीनता और नियमों की अनदेखी के चलते विभागीय माहौल प्रभावित हो रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों को इस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि व्यवस्था में सुधार हो सके और ऐसे मामलों पर नियंत्रण पाया जा सके।