बिलासपुर | सिंधी समाज के शिरोमणि संत कंवरराम जी के बलिदान दिवस में श्रद्धांजलि दी गयी। सिंधी युवक समिति ने सिंधी समाज के शिरोमणि संत भक्त कंवरराम साहिब के 85 वें बलिदान दिवस पर उन्हें याद कर भक्त कंवरराम नगर (सिंधी कॉलोनी) में उनके शहादत दिवस के समय ठीक रात 10 बजे श्रद्धांजलि सभा में 2 मिनट का मौन धारण व पुष्प अर्पित कर श्रद्धापूर्वक श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि सभा उपरांत उनके गीतों को गाकर प्रसाद वितरण किया। श्रद्धांजलि सभा में समिति के संयोजक एवं संरक्षक अमर बजाज ने भक्त कंवरराम साहिब को याद करते हुए कहा कि सिंधी समाज के संत कंवरराम जी का मानव सेवा ही उनका मुख्य ध्येय था। अपंगो, नेत्र हीनों, रोगियों एवं कुष्ठ-रोगियों की सेवा अपने हाथों से करके वे स्वयं को धन्य मानते थे। इन्ही श्रद्धा भाव को देखते हुए स्वतंत्र भारत में भी संत की महिमा को देखते हुए भारत सरकार ने एक डाक टिकट भी जारी की है समिति के संरक्षक कैलाश मलघानी ने कहा कि कंवरराम साहिब के परोपकारी एवं आध्यात्मिक जीवन ने मानव के संस्कारो में कल्याण, सर्व धर्म समभाव, परोपकार एवं मानव आदर्शों को नई दिशा प्रदान की समिति के प्रमुख सलाहकार मोहन मदवानी ने कहा कि शिकारपुर के शाही बाग में प्रभात के समय एक महिला ने अपने मृत नवजात शिशु को संत की झोली में लोरी के लिए दिया। बच्चा मृत था, उसकी मां के अतिरिक्त सभी लोग अन्जान थे, संत कंवरराम जी ने हृदय भाव से जी ने प्रभु आराधना करके लोरी गाई। संतजी की गोद में बच्चा रोने लगा। उसने बालक के मृत होने की बात सारी संगत को सुनाई। जो अब संत की महिमा से जीवित हो चुका था वहां उपस्थित संगत स्तब्ध हो गई। समिति के अध्यक्ष मनीष लाहोरानी ने कहा कि ऐसे मधुर भाषी और महान संत थे वे सदैव सामाजिक समरसता, एकता और भाईचारे का प्रचार करते रहे। ऐसे महान संत को सिंधी समाज ने शत् शत् नमन। इस मौके पर समाज के भाई साहब अमर रुपानी ने संत का गीत गाकर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।आज की श्रद्धांजलि सभा में सिंधी युवक समिति के संयोजक एवं संरक्षक अमर बजाज, संरक्षक कैलाश मलघानी, मनोहर खट्वानी, प्रमुख सलाहकार मोहन मदवानी, अध्यक्ष मनीष लाहोरानी, अमर रूपानी, खूबचंद लाहोरानी, लक्ष्मणदास संतवानी,अनिल बजाज, वैभव नत्थानी, जतिन चेतानी, महेश बजाज, हरीश लालचंदानी, सन्नी लाहोरानी, हरीश गेहानी, राज भाटिया, मनोहर जिन्कयानी, इशू गिडवानी, पवन मोटवानी, गोवर्धन मोटवानी सहित समाज के वरिष्ठ जन उपस्थित थे।*