More

    *शताब्दी महोत्सव दिनांक 14.06.1921 महापुरूष – स्व. श्री नेमीचंद जी लुनिया*

    वीना दूबे….

    दुर्ग…सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, शिक्षा, कृषि, प्रशासनिक मानवीय इत्यादि ऐसा कोई क्षेत्र नहीं था, जहाँ उन्होंने निस्वार्थ सेवा ना की हो। ऐसे महापुरूष की कर्मभूमि में मेरा जन्म हुआ एवं मेरे लहु में उनका खून दौड़ना अवश्य ही मेरे पुण्य कर्मो का फल है, कि मैं ऐसे कुल की माता के कोख से जन्म लिया हूँ।

     

    यू तो जन्म मरण के चक्कर में सभी आते एवं जाते है। किन्तु कुछ लोग ही ऐसी छाप छोड़ जाते है और महापुरूष कहलाते है।

     

    इसी श्रृंखला में स्व. श्री नेमीचंद जी लुनिया ज्येष्ठ मास हस्ता नक्षत्र में विक्रम संवत् 1978 सन् 14.06.1921 दिन मंगलवार कवर्धा की मिट्टी में केसर बाई की कोख से जन्म लिया।

     

    यू तो नश्वर शरीर के जीवन-यापन हेतु सभी व्यापार नौकरी इत्यादी करते है एवं अपने में ही मस्त रहते है किन्तु महापुरूष अपना जीवन सामाजिक, राजनैतिक, शिक्षा, मानवीय सेवाओं में लगा देते है उनके लिये परिवार गौण हो जाता है एवं समाज ही उनका परिवार होता है।

    अखिल भारतीय कांग्रेस के सिद्धांतों से प्रेरित होकर तथा राष्ट्रपिता पूज्य श्री महात्मा गाँधी जी एवं संत श्री विनोवा भावे जी के आव्हान पर एवं ठाकुर श्री प्यारेलाल जी, पूज्य श्री यति यतनलाल जी महाराज साहब, श्री मोहनलाल जी बाकलीवाल आदि महापुरूषों का सानिध्य प्राप्त होने से कवर्धा स्टेट में अंग्रेज सरकार के खिलाफ सन् 1944 में जब राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई तब जुलूस की भीषण गर्मी के मौसम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं जुलूस में सम्मिलित आम नागरिकों के आहार एवं पानी इत्यादि कि व्यवस्था की एवं तिरंगा झण्डा फहराया जिसके परिणाम स्वरूप कवर्धा रियासत (शासन) के आदेश से 6 माह तक समस्त मुलभूत सुविधाओं जैसे नाई, धोबी, राऊत, हमाल इत्यादि सुविधाओं से वंचित होने की सजा दी गयी एवं सामाजिक बहिष्कार किया गया, किन्तु फिर भी लुनिया जी अपने उसूलों पर अडिग रहें, कवर्धा के महाराज धर्मराज सिंह ने महल में बुलाकर समझाने पर भी आप श्री अपने सिद्धांत एवं देश सेवा के भाव में तनिक भी डगमगाये नहीं।

     

    संकल्प :-

     

    परमपूज्य राष्ट्रसंत संत शिरोमणि आचार्य भगवंत श्री श्री 1008 श्री विद्यासागर जी महाराज साहब के 27 शिष्यों के साथ, कवर्धा पदार्पण होने पर पूज्य श्री के त्याग, तपस्या, संयम एवं उपदेशों से प्रेरित होकर आत्म मंथन कर आपने संकल्प लिया कि मैं अपना शेष जीवन अहिंसा, गौ सेवा, नये बूचड़खाने ना खुले एवं पुराने बूचड़खाने बंद करवाना, वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम का पूर्ण रूप से पालन कराने एवं करने हेतु शेष जीवन इन्हीं पुनीत कर्मों हेतु समर्पित करता हैं। संकल्प दिनांक 30.04.2004.कृषिक्षेत्र में योगदान :-

     

    आप अपने जीवनकाल में चालीस वर्ष कृषक के रूप में ग्राम परसाहा में खेती की। कवर्धा तहसील में सबसे पहले डी.ए.पी. खाद का प्रयोग एवं प्रदर्शन करने का सौभाग्य आपको प्राप्त हुआ। सर्वप्रथम भोरमदेव नागर (लोहे का) चारफन वाले का प्रयोग एवं प्रदर्शन करने का सौभाग्य मिला। जब से कवर्धा तहसील में घोठिया कृषि फार्म में बीज निगम की स्थापना हुई, सर्टिफाइट आधार बीज आपके द्वारा ही लेन देन आरम्भ हुआ। चना, सोयाबीन, अरहर, सुरजमुखी, तिल, अलसी, मुंग, उड़द आदि का प्रमाणित एवं आधार बीज बीज निगम से खरीदकर फसल आने पर वापिस प्रमाणित बीज देने का सौभाग्य भी आप श्री को प्राप्त हुआ।

     

    शिक्षण क्षेत्र में योगदान :-

     

    देवी माँ सरस्वती की कृपा से सन् 1952 में आपने सात छात्रों को लेकर गौशाला भवन में पब्लिक हाईस्कूल की स्थापना की। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिये अवैतनिक सचिव पद का भार संभाले। तीन वर्षों में नवमी, दसवी एवं ग्यारहवी कक्षा का अध्ययन कर करीब-करीब सी-डेढ़ सौ छात्रों को पढ़ाने एवं संभालने का कार्य किये है। इस आयाम को आगे बढ़ाने हेतु मुख्यमंत्री पंडित श्री रविशंकर शुक्ल जी से निवेदन किये, मुख्यमंत्री द्वारा प्रार्थना स्वीकार कर आदेश प्रस्तावित किया कि पहले वर्ष शासन नवमी कक्षा, दुसरे वर्ष दसवीं कक्षा, तीसरे वर्ष ग्यारहवी की कक्षाओं का संचालन करेगी एवं तत्कालीन वित्त मंत्री श्री बृजलाल जी बियानी तथा शिक्षामंत्री राजा बहादुर श्री बिरेन्द्र बहादुर सिंह जी खैरागढ़ को दो वर्ष तक पूर्ण सहयोग प्रदान करने हेतु निर्देशित किया। यह पुनित कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आप श्री 5 वर्षों तक शाला विकास समिति कवर्धा, 36 वर्षों तक शारदा संगीत महाविद्यालय कवर्धा में उपाध्यक्ष पद एवं 5 वर्षों तक शारदा संगीत महाविद्यालय कवर्धा में अध्यक्ष पद पर आसीन रहें।

     

    धार्मिक क्षेत्र :-

     

    (अध्यक्ष) सकल जैन श्री संघ कवर्धा 35 वर्षों तक ।

     

    (प्रमुख ट्रस्ट्री) आजीवन जैन श्वेताम्बर मुर्तिपुजक संघ कवर्धा ।

     

    (सहमंत्री एवं प्रचार मंत्री) श्री महाकौशल जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ रायपुर।

     

    (सदस्य) श्री अखिल भारतीय जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ महासंघ बाम्बे (मुम्बई)।

     

    (सदस्य) सर्व-धर्म समन्वय समिति-कवर्धा।

     

    श्री उवसग्गहर पार्श्व तीर्थ नगपुरा छत्तीसगढ़ में “जैन रल” की उपाधि से सम्मानित हुये।

     

    “ऐसा कोई तीरथ ना था जिसके आप दर्शन न किये हो। ऐसा कोई संत ना था जिसे आप प्रणाम न किये हो. ऐसा कोई पंथ ना था जिसको आप सम्मान ना दिये हो।।”

     

    आप सामंजस्यवादी थे संप्रदायवादी नहीं थे सर्वधर्म, दया, करूणा में विश्वास रखते थे। इसके लिये आप श्रीको सन् 2002 में यति यतनलाल सम्मान से सम्मानित किया गया।

     

    कवर्धा नगर में शिखरबंद जैन श्वेताम्बर मंदिर बनाने का प्रण:-

     

    कवर्धा नगर में शिखरबंद जैन श्वेताम्बर मंदिर के निर्माण की जवाबदारी (अध्यक्ष पद) निभाने हेतु आपने दृढसंकल्प लिया कि जब तक निर्माण कार्य पूरा ना हो जाये में अनाजो में सिर्फ एक ही अनाज का सेवन करूंगा आप अपने प्रण में सफल रहे।

     

    प्रशासनिक क्षेत्र

     

    अध्यक्ष मर्चेंट एसोसिएसन तहसील कवर्धा, डायरेक्टर द स्टेट बैंक ऑफ कवर्धा लिमिटेड कवर्धा, डायरेक्टर रायपुर सेन्ट्रल को आपरेटिव बैंक लिमिटेड रायपुर, मानसेवी सचिव ब्रांच कवर्धा मैनेजर के अधिकार प्राप्त।

     

    सामाजिक क्षेत्र :-

     

    सदस्य-नगर विकास समिति कवर्धा। निगरानी समिति कवर्धा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली समिति कवर्धा। नगर धार्मिक महोत्सव समिति कवर्धा । नगर ट्राफिक कंट्रोल कमेटी कवर्धा। श्री यदुनाथ गौशाला समिति कवर्धा। कौमी एकता समिति कवर्धा। दुर्ग स्टेडियम निर्माण समिति दुर्ग। इन समितियों में योगदान रहा। दिनांक 5 मार्च 2012 को लायंस सेवा सम्मान से सम्मानित हुये।

     

    राजनैतिक क्रियाकलाप अध्यक्षमण्डल कांग्रेस कमेटी कवर्धा 25 वर्ष, अध्यक्ष – ब्लाक कांग्रेस कमेटी कवर्धा, संयोजक – बाढ़ रिलीफ फण्ड कवर्धा, संयोजक – तहसील कांग्रेस कमेटी कवर्धा, क्रियाशील सदस्य – दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी दुर्ग जिला, क्रियाशील सदस्य राजनांदगांव जिला कांग्रेस कमेटी राजनांदगांव जिला, सन् 1944 से 2002 तक कांग्रेस पार्टी के सक्रिय सिपाही रहे, कवर्धा जिले के प्रथम वरिष्ठ कार्यकर्ता रहे। जनप्रिय विधायक श्री योगेश्वर राज सिंह जी के प्रस्तावक आप थे। दिनांक 18.11.1985 में कांग्रेस शताब्दी समारोह में व्याख्यान माला हेतु आप श्री आमंत्रित किये गये।

     

    राष्ट्रहित के कार्य में आप श्रीको:-

     

    1) श्री मोहनलाल जी बाकलीवाल दुर्ग,

     

    2) श्री चंदुलाल चन्द्राकर दुर्ग,

     

    3) श्री दाऊ ढाल सिंह जी दुर्ग,

     

    4) श्री तामस्कर जी वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्ग

     

    5) श्री महान संत पूज्य श्री यति यतनलाल जी महाराज साहब महासमुन्द,6) श्रीठाकुर प्यारेलाल जी रायपुर,

     

    7) श्री केयूर भूषण जी (गांधीवादी) रायपुर इत्यादि आजादी के दिवानों से मार्गदर्शन एवं सहयोग निरंतर मिलता रहा। दिनांक 18 अक्टुबर 1991 विजयदशमी के दिन कवर्धा नरेश श्री विश्वराज सिंह द्वारा प्रमाणित किया गया की श्री नेमीचंद लुनिया आत्मज जवाहरमल जी लुनिया निवासी कवर्धा जिला राजनांदगांव स्वतंत्रता संग्राम सेनानी है।

     

    प्राकृतिक विपदा में सहयोग दिनांक 11.10.1998 को कलेक्टर श्री एस. डी. अग्रवाल द्वारा अतिवृष्टि के कारण

     

    अचानक आई बाढ़ से उत्पन्न कठिन परिस्थितियों में प्रशासन को सहयोग करने का सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। इन सारे क्षेत्रों के प्रमाणपत्र अधिवक्ता चन्द्रनाथ आ (भारत सरकार द्वारा विधी पुस्तक लेखन में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत एवं बैरिस्टर छेदीलाल पुरस्कार प्राप्त) द्वारा प्रमाणित है।

     

    विशेष:-

     

    पूर्व संवाददाता दैनिक नवभारत रायपुर,

     

    पूर्व संवाददाता साप्ताहिक जैन श्वेताम्बर पत्र आगरा, आपकी दैनिक जीवन शैली आखिरी तक स्वावलम्बी रही आप अन्तिम सोपान तक अपने रोजमर्रा के कार्य बिना किसी के सहयोग के मुस्कुराकर करते रहे। प्रतिदिन देवदर्शन, गुरूदर्शन करने के पश्चात् ही अन्नजल ग्रहण करते थे। आप श्री साधुवाद के पात्र रहे।

     

    इस प्रकार आपने कर्मो की निजर्राकर कार्तिक सुदी पुर्णिमा कृत्रिका नक्षत्र विक्रम संवत् 2069 दिनांक 28.11.2012 में मंदिर जी की फोटो के दर्शनकर अपने स्थूल शरीर (पंचतत्व) को धरतीमाता को सीप कर अपने सूक्ष्म स्वख्य में कर्मों के फलोपदेश हेतु देवलोक गमन हुये। आप एक साधारण पुरुष नहीं थे। आप अमर है। हमेशा हमारे मार्गदर्शक बनकर प्रेरणातम बने रहेगें।

     

    आओ आज एक दीप आपके नामका जलाये ताकि वैसी हो रोशनी हमें जीवन प्रर्यंत मिलती रहे।

     

    संकलन – कैलाश बरमेचा, दुर्ग मो. नं. 9039879080

    Related Articles

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    Stay Connected

    161FansLike
    0SubscribersSubscribe

    Latest Articles

    वीना दूबे.... दुर्ग...सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, शिक्षा, कृषि, प्रशासनिक मानवीय इत्यादि ऐसा कोई क्षेत्र नहीं था, जहाँ उन्होंने निस्वार्थ सेवा ना की हो। ऐसे महापुरूष की कर्मभूमि में मेरा जन्म हुआ एवं मेरे लहु में उनका खून दौड़ना अवश्य ही मेरे पुण्य कर्मो का फल है, कि मैं ऐसे कुल की माता के कोख से जन्म लिया हूँ।   यू तो जन्म मरण के चक्कर में सभी आते एवं जाते है। किन्तु कुछ लोग ही ऐसी छाप छोड़ जाते है और महापुरूष कहलाते है।   इसी श्रृंखला में स्व. श्री नेमीचंद जी लुनिया ज्येष्ठ मास हस्ता नक्षत्र में विक्रम संवत् 1978 सन् 14.06.1921 दिन मंगलवार कवर्धा की मिट्टी में केसर बाई की कोख से जन्म लिया।   यू तो नश्वर शरीर के जीवन-यापन हेतु सभी व्यापार नौकरी इत्यादी करते है एवं अपने में ही मस्त रहते है किन्तु महापुरूष अपना जीवन सामाजिक, राजनैतिक, शिक्षा, मानवीय सेवाओं में लगा देते है उनके लिये परिवार गौण हो जाता है एवं समाज ही उनका परिवार होता है। अखिल भारतीय कांग्रेस के सिद्धांतों से प्रेरित होकर तथा राष्ट्रपिता पूज्य श्री महात्मा गाँधी जी एवं संत श्री विनोवा भावे जी के आव्हान पर एवं ठाकुर श्री प्यारेलाल जी, पूज्य श्री यति यतनलाल जी महाराज साहब, श्री मोहनलाल जी बाकलीवाल आदि महापुरूषों का सानिध्य प्राप्त होने से कवर्धा स्टेट में अंग्रेज सरकार के खिलाफ सन् 1944 में जब राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई तब जुलूस की भीषण गर्मी के मौसम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं जुलूस में सम्मिलित आम नागरिकों के आहार एवं पानी इत्यादि कि व्यवस्था की एवं तिरंगा झण्डा फहराया जिसके परिणाम स्वरूप कवर्धा रियासत (शासन) के आदेश से 6 माह तक समस्त मुलभूत सुविधाओं जैसे नाई, धोबी, राऊत, हमाल इत्यादि सुविधाओं से वंचित होने की सजा दी गयी एवं सामाजिक बहिष्कार किया गया, किन्तु फिर भी लुनिया जी अपने उसूलों पर अडिग रहें, कवर्धा के महाराज धर्मराज सिंह ने महल में बुलाकर समझाने पर भी आप श्री अपने सिद्धांत एवं देश सेवा के भाव में तनिक भी डगमगाये नहीं।   संकल्प :-   परमपूज्य राष्ट्रसंत संत शिरोमणि आचार्य भगवंत श्री श्री 1008 श्री विद्यासागर जी महाराज साहब के 27 शिष्यों के साथ, कवर्धा पदार्पण होने पर पूज्य श्री के त्याग, तपस्या, संयम एवं उपदेशों से प्रेरित होकर आत्म मंथन कर आपने संकल्प लिया कि मैं अपना शेष जीवन अहिंसा, गौ सेवा, नये बूचड़खाने ना खुले एवं पुराने बूचड़खाने बंद करवाना, वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम का पूर्ण रूप से पालन कराने एवं करने हेतु शेष जीवन इन्हीं पुनीत कर्मों हेतु समर्पित करता हैं। संकल्प दिनांक 30.04.2004.कृषिक्षेत्र में योगदान :-   आप अपने जीवनकाल में चालीस वर्ष कृषक के रूप में ग्राम परसाहा में खेती की। कवर्धा तहसील में सबसे पहले डी.ए.पी. खाद का प्रयोग एवं प्रदर्शन करने का सौभाग्य आपको प्राप्त हुआ। सर्वप्रथम भोरमदेव नागर (लोहे का) चारफन वाले का प्रयोग एवं प्रदर्शन करने का सौभाग्य मिला। जब से कवर्धा तहसील में घोठिया कृषि फार्म में बीज निगम की स्थापना हुई, सर्टिफाइट आधार बीज आपके द्वारा ही लेन देन आरम्भ हुआ। चना, सोयाबीन, अरहर, सुरजमुखी, तिल, अलसी, मुंग, उड़द आदि का प्रमाणित एवं आधार बीज बीज निगम से खरीदकर फसल आने पर वापिस प्रमाणित बीज देने का सौभाग्य भी आप श्री को प्राप्त हुआ।   शिक्षण क्षेत्र में योगदान :-   देवी माँ सरस्वती की कृपा से सन् 1952 में आपने सात छात्रों को लेकर गौशाला भवन में पब्लिक हाईस्कूल की स्थापना की। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिये अवैतनिक सचिव पद का भार संभाले। तीन वर्षों में नवमी, दसवी एवं ग्यारहवी कक्षा का अध्ययन कर करीब-करीब सी-डेढ़ सौ छात्रों को पढ़ाने एवं संभालने का कार्य किये है। इस आयाम को आगे बढ़ाने हेतु मुख्यमंत्री पंडित श्री रविशंकर शुक्ल जी से निवेदन किये, मुख्यमंत्री द्वारा प्रार्थना स्वीकार कर आदेश प्रस्तावित किया कि पहले वर्ष शासन नवमी कक्षा, दुसरे वर्ष दसवीं कक्षा, तीसरे वर्ष ग्यारहवी की कक्षाओं का संचालन करेगी एवं तत्कालीन वित्त मंत्री श्री बृजलाल जी बियानी तथा शिक्षामंत्री राजा बहादुर श्री बिरेन्द्र बहादुर सिंह जी खैरागढ़ को दो वर्ष तक पूर्ण सहयोग प्रदान करने हेतु निर्देशित किया। यह पुनित कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आप श्री 5 वर्षों तक शाला विकास समिति कवर्धा, 36 वर्षों तक शारदा संगीत महाविद्यालय कवर्धा में उपाध्यक्ष पद एवं 5 वर्षों तक शारदा संगीत महाविद्यालय कवर्धा में अध्यक्ष पद पर आसीन रहें।   धार्मिक क्षेत्र :-   (अध्यक्ष) सकल जैन श्री संघ कवर्धा 35 वर्षों तक ।   (प्रमुख ट्रस्ट्री) आजीवन जैन श्वेताम्बर मुर्तिपुजक संघ कवर्धा ।   (सहमंत्री एवं प्रचार मंत्री) श्री महाकौशल जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ रायपुर।   (सदस्य) श्री अखिल भारतीय जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ महासंघ बाम्बे (मुम्बई)।   (सदस्य) सर्व-धर्म समन्वय समिति-कवर्धा।   श्री उवसग्गहर पार्श्व तीर्थ नगपुरा छत्तीसगढ़ में "जैन रल" की उपाधि से सम्मानित हुये।   "ऐसा कोई तीरथ ना था जिसके आप दर्शन न किये हो। ऐसा कोई संत ना था जिसे आप प्रणाम न किये हो. ऐसा कोई पंथ ना था जिसको आप सम्मान ना दिये हो।।"   आप सामंजस्यवादी थे संप्रदायवादी नहीं थे सर्वधर्म, दया, करूणा में विश्वास रखते थे। इसके लिये आप श्रीको सन् 2002 में यति यतनलाल सम्मान से सम्मानित किया गया।   कवर्धा नगर में शिखरबंद जैन श्वेताम्बर मंदिर बनाने का प्रण:-   कवर्धा नगर में शिखरबंद जैन श्वेताम्बर मंदिर के निर्माण की जवाबदारी (अध्यक्ष पद) निभाने हेतु आपने दृढसंकल्प लिया कि जब तक निर्माण कार्य पूरा ना हो जाये में अनाजो में सिर्फ एक ही अनाज का सेवन करूंगा आप अपने प्रण में सफल रहे।   प्रशासनिक क्षेत्र   अध्यक्ष मर्चेंट एसोसिएसन तहसील कवर्धा, डायरेक्टर द स्टेट बैंक ऑफ कवर्धा लिमिटेड कवर्धा, डायरेक्टर रायपुर सेन्ट्रल को आपरेटिव बैंक लिमिटेड रायपुर, मानसेवी सचिव ब्रांच कवर्धा मैनेजर के अधिकार प्राप्त।   सामाजिक क्षेत्र :-   सदस्य-नगर विकास समिति कवर्धा। निगरानी समिति कवर्धा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली समिति कवर्धा। नगर धार्मिक महोत्सव समिति कवर्धा । नगर ट्राफिक कंट्रोल कमेटी कवर्धा। श्री यदुनाथ गौशाला समिति कवर्धा। कौमी एकता समिति कवर्धा। दुर्ग स्टेडियम निर्माण समिति दुर्ग। इन समितियों में योगदान रहा। दिनांक 5 मार्च 2012 को लायंस सेवा सम्मान से सम्मानित हुये।   राजनैतिक क्रियाकलाप अध्यक्षमण्डल कांग्रेस कमेटी कवर्धा 25 वर्ष, अध्यक्ष - ब्लाक कांग्रेस कमेटी कवर्धा, संयोजक - बाढ़ रिलीफ फण्ड कवर्धा, संयोजक - तहसील कांग्रेस कमेटी कवर्धा, क्रियाशील सदस्य - दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी दुर्ग जिला, क्रियाशील सदस्य राजनांदगांव जिला कांग्रेस कमेटी राजनांदगांव जिला, सन् 1944 से 2002 तक कांग्रेस पार्टी के सक्रिय सिपाही रहे, कवर्धा जिले के प्रथम वरिष्ठ कार्यकर्ता रहे। जनप्रिय विधायक श्री योगेश्वर राज सिंह जी के प्रस्तावक आप थे। दिनांक 18.11.1985 में कांग्रेस शताब्दी समारोह में व्याख्यान माला हेतु आप श्री आमंत्रित किये गये।   राष्ट्रहित के कार्य में आप श्रीको:-   1) श्री मोहनलाल जी बाकलीवाल दुर्ग,   2) श्री चंदुलाल चन्द्राकर दुर्ग,   3) श्री दाऊ ढाल सिंह जी दुर्ग,   4) श्री तामस्कर जी वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्ग   5) श्री महान संत पूज्य श्री यति यतनलाल जी महाराज साहब महासमुन्द,6) श्रीठाकुर प्यारेलाल जी रायपुर,   7) श्री केयूर भूषण जी (गांधीवादी) रायपुर इत्यादि आजादी के दिवानों से मार्गदर्शन एवं सहयोग निरंतर मिलता रहा। दिनांक 18 अक्टुबर 1991 विजयदशमी के दिन कवर्धा नरेश श्री विश्वराज सिंह द्वारा प्रमाणित किया गया की श्री नेमीचंद लुनिया आत्मज जवाहरमल जी लुनिया निवासी कवर्धा जिला राजनांदगांव स्वतंत्रता संग्राम सेनानी है।   प्राकृतिक विपदा में सहयोग दिनांक 11.10.1998 को कलेक्टर श्री एस. डी. अग्रवाल द्वारा अतिवृष्टि के कारण   अचानक आई बाढ़ से उत्पन्न कठिन परिस्थितियों में प्रशासन को सहयोग करने का सर्टिफिकेट प्रदान किया गया। इन सारे क्षेत्रों के प्रमाणपत्र अधिवक्ता चन्द्रनाथ आ (भारत सरकार द्वारा विधी पुस्तक लेखन में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत एवं बैरिस्टर छेदीलाल पुरस्कार प्राप्त) द्वारा प्रमाणित है।   विशेष:-   पूर्व संवाददाता दैनिक नवभारत रायपुर,   पूर्व संवाददाता साप्ताहिक जैन श्वेताम्बर पत्र आगरा, आपकी दैनिक जीवन शैली आखिरी तक स्वावलम्बी रही आप अन्तिम सोपान तक अपने रोजमर्रा के कार्य बिना किसी के सहयोग के मुस्कुराकर करते रहे। प्रतिदिन देवदर्शन, गुरूदर्शन करने के पश्चात् ही अन्नजल ग्रहण करते थे। आप श्री साधुवाद के पात्र रहे।   इस प्रकार आपने कर्मो की निजर्राकर कार्तिक सुदी पुर्णिमा कृत्रिका नक्षत्र विक्रम संवत् 2069 दिनांक 28.11.2012 में मंदिर जी की फोटो के दर्शनकर अपने स्थूल शरीर (पंचतत्व) को धरतीमाता को सीप कर अपने सूक्ष्म स्वख्य में कर्मों के फलोपदेश हेतु देवलोक गमन हुये। आप एक साधारण पुरुष नहीं थे। आप अमर है। हमेशा हमारे मार्गदर्शक बनकर प्रेरणातम बने रहेगें।   आओ आज एक दीप आपके नामका जलाये ताकि वैसी हो रोशनी हमें जीवन प्रर्यंत मिलती रहे।   संकलन - कैलाश बरमेचा, दुर्ग मो. नं. 9039879080