जिसने माल भेजा उसे पता नही जिसको मिलना था उसे मिला नही पुलिस कहती है इसमें मिलावट है…?
आईपीएस थाना प्रभारी ने कोल डिपो में घुसकर सोते ड्राइवर को ट्रक सहित किया गिरफ्तार….
21 मई 2024
बिलासपुर-विगत दिनों रतनपुर पुलिस की एक
अजब- गजब कार्रवाई देखने को मिली जिसमे जिसमे सोते ड्राइवर को कोयले से भरी गाड़ी सहित गिरफ्तार किया गया । मामला
डिपो संचालक के विरुद्ध प्रकरण बना दर्ज किया मामला
ग्राम बेलतरा में स्थित कश्यप कोल डिपो में बीते दिनों स्थानीय पुलिस द्वारा छापामार कार्यवाही की गई मौके पर उक्त डिपो में ट्रेलर क्रमांक सीजी 04 पीसी 1683 खड़ा था व उसका ड्राइवर वही सो रहा था।
उक्त कार्रवाई में थाना प्रभारी आईपीएस अजय कुमार ने बिना किसी ठोस सबूत के आधार पर उक्त सोते हुए ड्राइवर मनोज प्रजापति को तथा कोयले से भरे ट्रक को पकड़कर थाने ले गए तथा बिना किसी तथ्यात्मक सबूत
के तहत एक प्रकरण दर्ज कर लिया जो की कानूनी व्यवस्था की प्रश्नवाचक स्तिथि पर एक बड़ा ही अविश्वनीय प्रतीत होता है।
दर्ज प्रकरण में10टन कोयला चोरी की शिकायत पर की गई कार्यवाई
पुलिस के मुताबित शिकायतकर्ता दिनेश पटेल है जो के.डी. रिसोर्सेज प्राईवेट लिमिटेड बिलासपुर में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं जिसने थाना रतनपुर आकर शिकायत दर्ज कराई कि इनकी कंपनी में गेवरा से कोटा रेलवे साईडिंग तक कोयला सप्लाई का काम करती है,उसी ट्रेलर से लिम्हा स्थित कश्यप कोल डिपो में 10टन कोयला निकालकर
अफरा -तफरी की गई है, जबकि सूत्र बता रहे है कि के .डी. रिसोर्सेज प्राईवेट लिमिटेड द्वारा थाने में कोई शिकायत ही दर्ज नही कराई गई थी , उक्त ट्रेलर का चालक रात हो जाने की वजह से गाड़ी डिपो के अंदर खड़ी करके सो रहा था।
अब एक प्रश्न ये भी उठता है कि के. .डी. रिसोर्सेज प्राईवेट लिमिटेड से उक्त कोयला से भरी गाड़ी रात दस बजे खदान से रवाना होती है और उसी रात गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही उसे ट्रेस कर लिया जाता है और फिर सोते हुए ड्राइवर को उठा कर कोयले की अफरा-तफरी का मामला बना दिया जाता है।
यह एक सोचनीय विषय भी बन जाता है…?
हम ये नही कहते कि कोरबा से लेकर रायपुर तक कोयले की अफरा- तफरी नही होती और इस पर लगाम भी लगना चाहिए परंतु किसी एक को टारगेट बना कर निराधार कार्रवाई समझ से परे है।
विगत वर्षों से उस मार्ग में कई ऐसे डिपो है जहाँ ये गोरख धंधा बेधड़क चल रहा है उस पर आज तक किसी प्रकार की कार्रवाई नही होती और फिर बिना किसी सबूत किसी खड़ी गाड़ी को महज निशाना बना कर सिर्फ कार्रवाई की दिखावटी बुनियाद पर ये थोपी गई कार्रवाई की जाती है।
अहम बात एक ये भी नजर आती है कि यदि जिस जगह उक्त कोयले से लदी गाड़ी पहुंचनी थी वहां पहुंचने से पहले ही पुलिस ने उक्त गाड़ी में लगेज कोयले की क्वालिटी के मापदंड को घोषित कर दिया कि उसमें 10 टन कोयले की मिलावट की गई है, ये बड़ा ही हास्यप्रद मामला प्रतीत होता है
*अब अपराधियो के अलावा पुलिस कोयले के भी चरित्र और गुणवत्ता का भी लाइसेंस देने लगी है*
पुलिस को कैसे पता की इसमें मिलावट
हुई है…?
उक्त डिपो संचालक के रवि यादव के कथनानुसार डिपो संचालक को बेवजह आईपीएस के द्वारा परेशान किया जा रहा है, न ही उक्त ट्रेलर से कोयले की अफरा तफरी हुई है और ना ही कोई मिलावट हुई है। सोचने वाली बात यह है कि पुलिस कैसे साबित कर रही है कि कोयले से भरी ट्रेलर में मिलावट की गई है, अगर कोयले से भरे ट्रेलर में कोई मिलावट होती तो इसका प्रूफ जहाँ ये कोयला भेजा जा रहा है वो कम्पनी करती ना कि पुलिस विभाग,जबकि अभी भी फ्रेश कोयला उक्त ट्रेलर में भरा हुआ है जिसे स्थानीय पुलिस मिलावटी बताकर फर्जी प्रकरण दर्ज कर चुकी है।
उक्त की गई कार्रवाई में एक तरफ उच्च स्तर पर कोयला व्यापारियों में विरोध के स्वर उभर रहे है वही पुलिस की निराधार कार्रवाई पर भी कई सवाल खड़े हो रहे है,बहराल पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की इस मामले में चुप्पी भी निन्दनीय है, वही ऊपर से दिए गए आदेश पर की गई बेवज़ह कार्रवाई पर निचले पुलिस कर्मी दबे स्वर में इसे सुनियोजित ढंग से की गई कार्रवाई बता रहे रहे है।