बिलासपुर.. Cgatoznews….आज समाज धर्म और कर्म से विमुख होता जा रहा था। ये माँ का युग है जब देवताओं पर भी विपत्ति आती है तो वो भी माँ आदिशक्ति को पुकारते हैं।
केवल एक मार्ग है साधना का पथ जिससे मानवता को दिशा दी जा सकती है। नशे-मांश की ओर युवा बढ़ता जा रहा है सुख और उपभोग को जीवन का लक्ष्य बना कर जीवन जीता जा रहा है ।
आज समाज में धार्मिक कार्यक्रमों में भी नाच गाना और अश्लीलता परोसी जा रही है। इस भारत भूमि के ऋषियों में इतनी क्षमता थी कि वे किसी को भी जीवन दान दे सकते थे, पर आज क्या हो गया है ? कहां गईं वो क्षमताएं।
*जागो और जगाओ- सनातन के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक मार्ग*
समाज को दिशा देना वाला पहले स्वयं सत्य को जान्ने वाला हो तभी लोगों में अपने ईष्ट के प्रति निष्ठा विश्वास की भावना आएगी। आज भारत भूमि में अनीति-अधर्म के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों की कमी हो गई है। इसके खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए अपने छोटे बच्चों को धर्मवान और संस्कारवान बनाना होगा।
*आज विलाषिता की अंधी दौड़ में दौड़ रहा समाज*
*अट्हास कर रहा है कलिकाल*
*अट्हास कर रहे है अनीति-अन्याय-अधर्म करने वाले*
अपने जीवन की सामाजिक जिम्मेदारियों को अपने दिमाग में बोझ न बनने दें। आपको विचार करना होगा कि – मैं कौन हूँ- मेरी क्षमताएं क्या हैं- और मेरा कौन है। हमें सनातन के पथ पर चलना होगा जिसमें हमारे ऋषि मुनि चलते थे। अपनी आत्मा, अपने गुरु और माता आदिशक्ति जगत जननी को हमेशा एक सामान समझना होगा। संकलवान बनो, स्वयं का का जीवन सवारने की दिशा में आगे बढ़ो। हम सभी देवी देवताओं का सम्मान करें मगर आदि शक्ति जगत जननी सभी देवीदेवताओं की ईष्ट हैं।
*श्रेष्ठ माता-पिता कौन ?*
बच्चो को पढ़ा देना, उन्हें नौकरी पर लगा देना और सुख का उपभोग करने की ओर बढ़ा देने से तुम सर्वश्रेष्ठ माता पिता नहीं बना सकते। अच्छे माता पिता बनना हो तो बच्चों को आत्मावान, साधक, संस्कारवान बनाओ क्योंकि जीवन की यी पूंजी उन्हें कभी भूखा नहीं मरने देगी। बेटे के जन्म से आपको मुक्ति नहीं मिलेगी आपको मुक्ति आपके स्वयं के कर्म से मिलेगी। अपने जीवन काल में इतने सतकर्म अर्जित कर लो की मुक्ति के लिए बच्चों पर निर्भर न रहना पड़े।
समय चक्र बदला रहा है बच्चों को कर्मवान बनाओ। अपने बच्चों को मोबाइल फ़ोन से दूर रखो और उनका बचपन बर्बाद न करो। वो भी अश्लीलता की चीजें देखतें है, विकारात्मक चीजें देखते हैं और फिर विकारों की ओर बढ़ जाते हैं।
भागवत कथा सुनने से मुक्ति नहीं मिलती कथावाचकों से पूछों कि क्या उनको मुक्ति मिल गई? वे स्वयं रत्न जड़ित अंगूठियां पहने रहते हैं।
आपको अपने ईष्ट पर अटूट निष्ठा विश्वास रखना होगा तभी आपकी साधना का लाभ आपको मिल पाएगा। कथाएं सुनने में बुराई नहीं है पर उनको अपने जीवन में धारण भी करना है। अपने विचारों को निरर्थक चीजों से दूर रखो। इससे हमारी सतोगुड़ी कोशिकाएं काम करने लगेंगी।
ईष्टचित्त बनो। अपने मन-चित्त को अपने ईष्ट को समर्पित कर दो। अपने ईष्ट के प्रति अटूट प्रीत रखो। फिर देखो कैसे चेतना की प्राप्ति नहीं होती।
*सत्य में शक्ति छुपी हुई है शक्ति में ही शांति*
अगर तुम्हारे अंदर शक्ति नहीं है तो कायरत का जीवन जियोगे और कभी शांति नहीं मिलेगी।
हमारे सनातन धर्म में कोई ऐसा देवी दिखाई नहीं देता है जो बिनाअस्त्र शस्त्र के हो। सभी ने शस्त्र धारण कर रखे हैं, क्योंकि वो सभी शक्ति मान हैं।
*पूरा समाज हमारा परिवार है और इसको दिशा देना हमारा कर्तव्य है*
हमारे सनातन धर्म में इतनी भ्रांतियां कभी नहीं थीं जीतनी आज हैं। हमने कुछ जातियों को नज़रअंदाज़ कर उनको धर्म का ज्ञान देना बंद कर दिया।
हमारा सनातनखंड खंड होता जा रहा है । जो इंसान इंसान में भेद करता है उसे कभी किसिस ईष्ट कोई कृपा नहीं मिलती।
*हाल ही में राम मंदिर में देखा गया नरेंद्र मोदी जी द्वारा प्राण प्रतिष्ठा किए जाने पर भी सवाल उठे थे। वो ब्राह्मण नहीं है इसलिए वे प्राण प्रतिष्ठा योग्य नहीं हैं कुछ ऐसे सवाल उठाए गए। एक ऐसा प्रधान मंत्री जो साधक हो देवी- देवताओं को मानने वाला हो अगर वो योग्य नहीं तो क्या ये खाने-पीने और मौज करने वाले ब्राह्मण योग्य हैं ?*
*आप एक युगदृष्टा ऋषि के सानिध्य में हो जिसने युगपरिवर्तन का शंखनाद किया है। ऐसे ऋषि के सनिष्य में हो जिसकी चेतना के प्रवाह में राम मंदिर बन गया और काशी में भगवान नंदी के मंदिर के द्वार खुल गए और मथुरा का भी विकास हो गया। सन 1994 में छठवां शक्ति चेतना जनजागरण शिविर था जिसमें मैंने चाइनीस महामारी कोरोना वायरस के भविष्य में आने के बारे में बताया था और कहा था कि विश्व युद्ध की प्रक्रिया भी शुरू होगी। आज से 25 साल पहले मैंने ये भविष्वाणी की थी।*
*हमारे एक भी शंकराचार्यों की और धर्मगद्दियों पर बैठे हुए धर्माधिकारिओं में किसी की भी कुंडलींन चेतना जागृत नहीं है। मैंने चुनौती दी थी उनको जो खुद को त्रिकालदर्शी बताते हैं और परचा बनाते हैं कि तीनों प्रदेशों में होने वाले विधानसभा चुनावों में किसकी सरकार बनेगी तो किसी के पास यह देख पाने की क्षमता नहीं थी और कुछ के जो जवाब पत्र मिले उनमे सबमें गलत जवाब थे तो अब उन्हें अपनी दुकाने अब बन कर देनी चाहिए।*
*हम हिंसा को बढ़ावा नहीं देते पर चेतनावान जरूर हैं*
एक धर्म गुरु होने के नाते मेरा कर्तव् है गलत का विरोध करूँ। अगर राष्ट्र भक्त हो तो आपके लिए नेहरू खानदान के रहते हुए कभी बीजेपी से श्रेष्ठ कांग्रेस नहीं हो सकती। आजादी के बाद देश के टुकड़े धर्म के नाम पर ही हुए थे उन्हें जो चाहिए वो ले गए थे उसके बाद भी हम अपने धर्म स्थानों को आजाद नहीं करा पाएऔर जहाँ भी हमारे धर्म स्थानों में मंदिरों को तोड़ कर मस्जिद बनाई गई है उन्हें तोड़ कर पुनः मंदिर बनना चाहिए। अब सनातन जाग चूका है, हम हिंसा को बढ़ावा नहीं देते पर चेतनावान जरूर हैं। राम इसलिए श्रेष्ठ हैं क्योंकि इस धरती पर रहते हुए जैसा जीवन उन्होंने जिया है वैसा किसी ने नहीं जिया।
*जिहादी कुकुरमुत्तों इस धरती पर योगिराज शक्तिपुत्र के रहते कभी जिहाद फल फूल नहीं सकता*
जिहादी मानसिकता को बढ़वा देनेवालों और जिहाद के नाम पर मासूमों की जान लेने वालों-अरे कुकुरमुत्तों-जब तक इस धरती पर योगिराज शतीपुत्र मौजूद है तब तक इस धरती पर कभी जिहाद फल फूल नहीं सकता। जिहाद के नाम पर गाड़ियों को जलाना दंगे करवाना ये कायरता है।
सनातन ही सत्य है सनातन से परे कुछ नहीं। अगरा ये धरती भी समाप्त हो जाए तब भी सनातन समाप्त नहीं होगा। अनेको लोक हैं इस बरह्माण्ड में एक लोक के मिटने से सनातन नहीं मिटेगा। मैं इस्लाम धर्म के लोगों से कहना चाहता हूँ कि अगर इस्लाम धर्म को बचाना है तो बच्चो को जिहाद से दूर रखो।
*शक्तिपुत्र जी महाराज की भविष्वाणी -आने वाले समय में इस्लामिक देशों को होगी बहुत छति*
*सनातन जीवित है तो इस्लाम जीवित है*
सनातन जीवित है तो इस्लाम जीवित है क्यों की सनातन ही सभी धर्मों की रक्षा कर सकता है। मैं खुद भी उस धर्म की ढाल बन जाऊँगा जब किसी धर्म पर आंच आएगी।
धर्म के बिना राजनीति आत्मा के बिना एक शरीर के सामान है। राजनीती में भी धर्म से जुड़े लोगों की आवशयकता है। नींद उड़ जाती है जब समाज के दुःख दर्द को देखो। लगता है कौन उनका सहारा बनेगा कैसे उनकी मुश्किलें दूर होंगी। आज समाज में सभी के अंदर ये भावना होनी चाहिए। अपने अंदर प्रचंड भक्ति पैदा करो तब पन्नाध्याय और मीरा जैसी परम आत्माओं का इस धरती पर जन्म होगा।
अंत में चिन्तनों को समाप्त करते हुए परमहंस योगिराज श्री शक्तिपुत्र योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने वहां मौजूद 2.5 से 3 लाख भक्तों के दोनों हाथ ऊपर उठवाकर संकल्प दिलवाया कि वह नशे मांस से मुक्त चरित्रवानों का जीवन जीते हुए धर्मरक्षा, राष्ट्ररक्षा और मानवता की सेवा के लिए समर्पित रहेंगे।