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    *नकली खाद्य बीज से किसानों को करना पड़ रहा भारी घाटे का सामना बार-बार शिकायत करने पर भी प्रशासन मौन*

    प्रदेश में नकली खाद बीज के मामले मिलना सामान्य सी घटना हो गई है। आये दिन कहीं न कहीं किसानों के साथ धोखाधड़ी हो रही है इन विषयों को लेकर भारतीय किसान संघ ने मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री के को ज्ञापन सौंपा है। दुर्ग जिले में बायर कंपनी ने अपनी गलती के लिए किसानों को 35 हजार प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया है। बड़ी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी किसानों को उन्नत किस्म एवं हाई ब्रीड व बंपर पैदावार एवं बहुत से रोगों के प्रति सहनशील बताकर उसका व्यापक प्रचार प्रसार कर बाजार में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है लेकिन जब किसान वहीं बीज अपने खेतो में लगाता है तो घटिया बीज के कारण उसे घाटा उठाना पड़ रहा है इसी प्रकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी बायर जिसने ए जेड 8433 डी टी का बीज बोने से गरियाबंद के किसानों को भारी नुकसान हुआ है एवं इसकी शिकायत किये एक वर्ष हो गए है लेकिन आज तक शासन प्रशासन की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई है जबकि किसानों द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है जिसमें भारी अशुद्धता एवं अमानक स्तर का बीज पाया गया है और किसानों को 35 फीसदी नुकसान की भरपाई करने की सिफारिश की गई तथा जिसे लेकर किसानों ने कलेक्टर गरियाबंद को भी ज्ञापन दिया है लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है ऐसे में किसान जाए तो जाए कहां। उसी प्रकार बिलासपुर के एक किसान का विडिओ वायरल हो रहा है जिसमें उसने बीज शुद्धिकरण की प्रक्रिया में दिखाया है की कैसे बीज निगम द्वारा आबंटित 1001 धान की किस्म में अमानक बीज है इस प्रकार की बहुत सी घटनाएं अभी हाल में प्रदेश में घटी है।

    बात मात्र खाद, बीज अमानक पाये जाने से समाप्त नहीं होती है। विषय तो इसके बाद और दुखदाई होता है जब किसान इन कारणों से आत्मघाती कदम उठा लेता है। क्योंकि किसान की आजिविका का मुख्य साधन एकमात्र खेती ही है और खेती में होने वाला नुकसान उसका वर्ष भर का बजट गड़बड़ा देता है। इसका सबसे बड़ा कारण है सभी किसान आज खेती ऋण लेकर कर रहे है और इस प्रकार की हानि होने पर ना तो सरकार कोई मुआवजा देती है और यह ना ही किसानों को लूट कर लाभ कमाने वाली कंपनियां कोई मुआवजा देती है ऐसे में किसान बड़े कर्ज से लद जाता है।

    अवश्य ही इसमें किसानों का दोष कम ही माना जायेगा क्योंकि प्रदेश में कृषि संबंधित खाद एवं दवाओं के टेस्ट करने की पर्याप्त लैब ही नहीं है ऐसे में बगैर जांच के बहुत सी फर्जी कंपनियों ने अपना जाल बिछा रखा है और किसानों के साथ खुलकर धोखाधड़ी हो रही है। इसमें कोई संदेह नहीं है की कुछ अधिकारियों की इसमें मिलिभगत हो।

    भारतीय किसान संघ ने ज्ञापन के माध्यम से शासन से मांग की है की इस प्रकार के घटिया बीज, खाद व दवाओं को बनाने व बेचने वाली कंपनियों पर शीघ्र प्रतिबंध लगाए तथा ऐसे लोगों की पहचान कर इनके विरुद्ध सख्त से सख्त दंडात्मक कार्यवाही करें एवं किसानों के जीवन से खिलवाड़ करने के एवज में एक बड़ी मुआवजा राशि भी किसानों को इनसे दिलवाने का प्रविधान करें। इसके साथ ही ब्लॉक स्तर पर खाद एवं दवाओं की जांच हेतु लैब की स्थापना की जाए।ज्ञापन देने वालों में प्रदेश महामंत्री दुर्गा पाल ,प्रदेश उपाध्यक्ष टेकेंद्र चंद्राकर , प्रदेश कोषाध्यक्ष गजानंद दिघरस्कर , प्रदेश मंत्री रामवतार साहू , रायपुर जिला सहमंत्री लोकेश्वर साहू आदि उपस्थित थे ।

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    प्रदेश में नकली खाद बीज के मामले मिलना सामान्य सी घटना हो गई है। आये दिन कहीं न कहीं किसानों के साथ धोखाधड़ी हो रही है इन विषयों को लेकर भारतीय किसान संघ ने मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री के को ज्ञापन सौंपा है। दुर्ग जिले में बायर कंपनी ने अपनी गलती के लिए किसानों को 35 हजार प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया है। बड़ी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी किसानों को उन्नत किस्म एवं हाई ब्रीड व बंपर पैदावार एवं बहुत से रोगों के प्रति सहनशील बताकर उसका व्यापक प्रचार प्रसार कर बाजार में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है लेकिन जब किसान वहीं बीज अपने खेतो में लगाता है तो घटिया बीज के कारण उसे घाटा उठाना पड़ रहा है इसी प्रकार एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी बायर जिसने ए जेड 8433 डी टी का बीज बोने से गरियाबंद के किसानों को भारी नुकसान हुआ है एवं इसकी शिकायत किये एक वर्ष हो गए है लेकिन आज तक शासन प्रशासन की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई है जबकि किसानों द्वारा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है जिसमें भारी अशुद्धता एवं अमानक स्तर का बीज पाया गया है और किसानों को 35 फीसदी नुकसान की भरपाई करने की सिफारिश की गई तथा जिसे लेकर किसानों ने कलेक्टर गरियाबंद को भी ज्ञापन दिया है लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है ऐसे में किसान जाए तो जाए कहां। उसी प्रकार बिलासपुर के एक किसान का विडिओ वायरल हो रहा है जिसमें उसने बीज शुद्धिकरण की प्रक्रिया में दिखाया है की कैसे बीज निगम द्वारा आबंटित 1001 धान की किस्म में अमानक बीज है इस प्रकार की बहुत सी घटनाएं अभी हाल में प्रदेश में घटी है। बात मात्र खाद, बीज अमानक पाये जाने से समाप्त नहीं होती है। विषय तो इसके बाद और दुखदाई होता है जब किसान इन कारणों से आत्मघाती कदम उठा लेता है। क्योंकि किसान की आजिविका का मुख्य साधन एकमात्र खेती ही है और खेती में होने वाला नुकसान उसका वर्ष भर का बजट गड़बड़ा देता है। इसका सबसे बड़ा कारण है सभी किसान आज खेती ऋण लेकर कर रहे है और इस प्रकार की हानि होने पर ना तो सरकार कोई मुआवजा देती है और यह ना ही किसानों को लूट कर लाभ कमाने वाली कंपनियां कोई मुआवजा देती है ऐसे में किसान बड़े कर्ज से लद जाता है। अवश्य ही इसमें किसानों का दोष कम ही माना जायेगा क्योंकि प्रदेश में कृषि संबंधित खाद एवं दवाओं के टेस्ट करने की पर्याप्त लैब ही नहीं है ऐसे में बगैर जांच के बहुत सी फर्जी कंपनियों ने अपना जाल बिछा रखा है और किसानों के साथ खुलकर धोखाधड़ी हो रही है। इसमें कोई संदेह नहीं है की कुछ अधिकारियों की इसमें मिलिभगत हो। भारतीय किसान संघ ने ज्ञापन के माध्यम से शासन से मांग की है की इस प्रकार के घटिया बीज, खाद व दवाओं को बनाने व बेचने वाली कंपनियों पर शीघ्र प्रतिबंध लगाए तथा ऐसे लोगों की पहचान कर इनके विरुद्ध सख्त से सख्त दंडात्मक कार्यवाही करें एवं किसानों के जीवन से खिलवाड़ करने के एवज में एक बड़ी मुआवजा राशि भी किसानों को इनसे दिलवाने का प्रविधान करें। इसके साथ ही ब्लॉक स्तर पर खाद एवं दवाओं की जांच हेतु लैब की स्थापना की जाए।ज्ञापन देने वालों में प्रदेश महामंत्री दुर्गा पाल ,प्रदेश उपाध्यक्ष टेकेंद्र चंद्राकर , प्रदेश कोषाध्यक्ष गजानंद दिघरस्कर , प्रदेश मंत्री रामवतार साहू , रायपुर जिला सहमंत्री लोकेश्वर साहू आदि उपस्थित थे ।