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    *जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह के नेतृत्व में महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर में हो रहे सभी घोटालों और विश्वविद्यालय में व्याप्त अनियमितता एवं नियम विरुद्ध चल रहे सभी कार्यों के विरुद्ध जाँच कमेटी बनाकर कार्रवाई करने की गई मांग*

    बिलासपुर.. Cgatoznews…आज दिनाँक 07/07/2023 शुक्रवार को एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह के नेतृत्व में महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर में हो रहे सभी घोटालों और विश्वविद्यालय में व्याप्त अनियमितता एवं नियम विरुद्ध चल रहे सभी कार्यों के विरुद्ध जाँच कमेटी बनाकर कार्रवाई करन एवं एक आरटीआई आवेदक के द्वारा राजभवन से प्राप्त महर्षि विश्वविद्यालय के कुलपति के नियुक्ति के दस्तावेजों की जांच कर गलत पाए जाने पर कुलपति के ऊपर उक्त धारा के तहत एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने के लिए अतिरिक्त कलेक्टर आर ए कुरुवंशी को ज्ञापन सौंपा गया।

    एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह ने ज्ञापन के माध्यम से अतिरिक्त कलेक्टर को अवगत कराया है कि बिलासपुर जिले में संचालित महर्षि विश्वविद्यालय आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर छत्तीसगढ़ द्वारा छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/राज्य शासन एवं यूजीसी के नियम एवं शर्तों को दरकिनार करते हुए मनमाने तरीके से अध्ययनरत विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर फर्जीवाड़ा तरीके से विश्वविद्यालय चलाया जा रहा है महर्षि विश्वविद्यालय बिलासपुर द्वारा नियम विरुद्ध किए जा रहे फर्जीवाड़े की शिकायत निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से किया गया –

    (1) नियम विरुद्ध प्राइवेट सेंटर चलाना – महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर द्वारा छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/राज्य शासन/यूजीसी के नियम विरुद्ध कैंपस के बाहर पूरे प्रदेश में लगभग 18 सेंटर संचालित किए जा रहे हैं, जिसकी सूची इस पत्र के साथ संलग्न है जबकि नियमानुसार विश्वविद्यालय द्वारा कैंपस के बाहर (यूटीडी के अलावा) कोई भी सेंटर नहीं चलाया जा सकता, किसी भी सेंटर को संबद्धता प्रदान करने की शक्ति महर्षि विश्वविद्यालय को नहीं है, जबकि अपने निजी आर्थिक लाभ हेतु इनके द्वारा लगभग 18 सेंटर चलाया जा रहे हैं, इन सेंटरों में अध्ययनरत विद्यार्थियों का नामांकन क्रमांक संचालित प्राइवेट सेंटरों के सरल क्रमांक के अनुसार है, नामांकन सूची भी पत्र में संलग्न है।

    (2) छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों का घोटाला – महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर को कैंपस यूटीडी भवन में अध्यापन का कार्य करने हेतु मान्यता प्राप्त है, अतः यहां पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिलना चाहिए, छात्रवृत्ति का लाभ लेने के लिए प्रत्येक विद्यार्थी को विश्वविद्यालय कैंपस/यूटीडी कक्षा में अपना 75% भौतिक उपस्थिति दर्ज करना आवश्यक है, परंतु विश्वविद्यालय द्वारा संचालित प्राइवेट सेंटर में फर्जी तरीके से प्रवेश कराए गए छात्रों को नियम विरुद्ध अपने विश्वविद्यालय का कोड आबंटित कर छात्रवृत्ति प्रदान किया जाता है, जबकि कोई भी विद्यार्थी विश्वविद्यालय में पूरे सत्र भर में कभी उपस्थित नहीं रहते हैं इस प्रकार गैरकानूनी तरीके से राज्य शासन को भी वित्तीय क्षति पहुंचाते हुए छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला महर्षि विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है, इस गैरकानूनी कार्य के लिए महर्षि विश्वविद्यालय प्रशासन के ऊपर उक्त धारा के तहत एफ.आई.आर. दर्ज करवा कर कार्यवाही किया जाए। (3) एक ही वर्ष में स्नातकोत्तर का रिजल्ट मुहैया कराना – महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर में एम.ए.योग पाठ्यक्रम केवल एक सत्र (मात्र 1 वर्ष) में ही पूर्ण करा दिया गया है, इस पत्र में संलग्न सभी सेमेस्टर की अंकसूची में सत्र 2021-22 अंकित है जबकि किसी भी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में स्नातकोत्तर (पीजी कोर्स) न्यूनतम 2 वर्ष का होता है इसमें महर्षि विश्वविद्यालय द्वारा फर्जीवाड़ा कर एक ही सत्र में छात्र-छात्राओं को एम.ए.योग की डिग्री प्रदान किया गया है, जिससे विद्यार्थी बेहद परेशान है एवं किसी अन्य विश्वविद्यालय महाविद्यालय अथवा वे किसी रोजगार के लिए आवेदन कर रहे हैं, तो उन्हें डिग्री फर्जी है कहकर उनका आवेदन निरस्त कर दिया जाता है, ऐसे में सभी विद्यार्थी बेहद हताश एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित हैं, इसकी जाँच कर कड़ी कार्रवाई किया जाए, एक ही सत्र में दिए गए सभी अंकसूची की छायाप्रति इस पत्र में संलग्न है।

    (4) बिना पीजी कोर्स के फर्जी तरीके से पीएचडी करवाना – किसी भी विश्वविद्यालय में पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित होने से पूर्व उस विषय से संबंधित स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (पीजी कोर्स/मास्टर डिग्री) 2 वर्ष संचालित होना आवश्यक है, महर्षि विश्वविद्यालय में जिन विषयों को लेकर पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित की जा रही है उन विषयों के मास्टर डिग्री के लिए शासन स्तर से ऑर्डिनेंस भी पास नहीं है, महर्षि विश्वविद्यालय मास्टर डिग्री तो करा नहीं सकता तो क्या इस विश्वविद्यालय द्वारा संचालित पीएचडी पाठ्यक्रम वैधानिक है? महर्षि विश्वविद्यालय केवल नोटिफिकेशन (विज्ञापन) निकालती है धन लाभ के लिए एग्जाम लेने के बाद प्रवेश नहीं देते, आप संलग्न पीएचडी सूची में देख सकते हैं कि योगा में कोई भी प्रवेश नहीं दिया गया जबकि सिलेक्शन लिस्ट निकाला गया है। नोटिफिकेशन दिनांक 10/09/2022 इसके बाद 27/01/2022 फिर 10/12/2022 इस प्रकार से फार्म भरने की तारीख ही निकालते हैं जिससे छात्र छात्राओं को आर्थिक एवं मानसिक नुकसान हो रहा है उक्त फर्जीवाड़ा पर जल्द से जल्द रोक लगाएं l

    (5) परीक्षा हॉल मे चहेते छात्रों को खुलेआम नकल करवाना – महर्षि विश्वविद्यालय ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर छत्तीसगढ़ में मुख्य परीक्षा के समय परीक्षा हाल में यहां के बड़े अधिकारियों के चहेते छात्र छात्राओं को अपने निजी आर्थिक लाभ के लिए खुलेआम प्रश्न पत्र में दिए गए, सभी प्रश्नों के उत्तर उन्हें दे दिए जाते हैं, और वह विद्यार्थी उन उत्तर पुस्तिकाओं को देखकर अपना पर्चा हल करते हैं, विश्वविद्यालय प्रशासन का यह कृत्य भी छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/राज्य शासन के नियमों की अवहेलना कर अनुशासनहीनता को स्पष्ट दर्शाता है जिस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए,विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा हॉल में कराए जा रहे नकल का फोटोग्राफ इस पत्र के साथ संलग्न है। इस गैरकानूनी कार्य के लिए कुलपति, कुलसचिव और सहायक कुलसचिव परीक्षा विभाग के ऊपर ऊपर उक्त धारा के तहत एफ.आई.आर. दर्ज करवा कर कार्यवाही किया जाए। (6) शिक्षकों के अभाव में विश्वविद्यालय चलाना – महर्षि विश्वविद्यालय ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर छत्तीसगढ़ में सभी संकाय जो यहां संचालित है, उनमें विश्वविद्यालय के अनुसार लगभग एक हजार (1000) से ज्यादा विद्यार्थी यहां अध्ययनरत हैं, जबकि इन विद्यार्थियों को अध्ययन का कार्य कराने हेतु विश्वविद्यालय प्रशासन के पास मात्र 5 शिक्षक नियमित रूप से नियुक्त किए गए हैं। क्या केवल 5 शिक्षक हजारों बच्चों को प्रत्येक पाठ्यक्रम के विषयों को पढ़ा सकते हैं? महर्षि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के भविष्य को दांव में लगाकर केवल आर्थिक लाभ हेतु कार्य कर रही है, और साथ ही इस विश्वविद्यालय में कोई भी प्राध्यापक अथवा स्टॉफ छत्तीसगढ़ का मूल निवासी तक नहीं है, पूर्व में छत्तीसगढ़ के निवासी प्राध्यापक एवं स्टाफ के रूप में कार्यरत थे परंतु जानबूझकर छत्तीसगढ़िया लोगों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के बाद या तो उन्हें निकाल दिया गया या फिर वे स्वयं इस्तीफा देकर चले गए, वर्तमान में सभी शैक्षणिक स्टाफ छत्तीसगढ़ प्रदेश के बाहर के हैं, और छत्तीसगढ़ में आकर मनमाने तरीके से लूट खसौट मचाकर विश्वविद्यालय संचालित कर रहे हैं, छत्तीसगढ़ के लोगों से इस प्रकार का सौतेला व्यवहार करने वालों एवं 1000 विद्यार्थियों को मात्र 5 शिक्षक कैसे शिक्षा प्रदान कर रहे हैं इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग एनएसयूआई करती है। (7) बिना योग्यता / अनुभव और फर्जी दस्तावेजों के साथ कुलपति बनना – महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर के कुलपति Dr. Pro.Col T.P.S. Kandra के पास वे सभी योग्यता नहीं है कि वह कुलपति के पद पर नियुक्त हो सके, हमारी मांग है कि कुलपति के नियुक्ति हेतु जो आवश्यक योग्यता एवं अनुभव होनी चाहिए l क्या वह अनुभव एवं योग्यता कुलपति Dr. Pro.Col T.P.S. Kandra के पास है ? महोदय आपसे अनुरोध है कि कुलपति Dr. Pro.Col T.P.S. Kandra की नियुक्ति के समस्त दस्तावेजों की जांच बारीकी से किया जाए। आरोप यह भी है कि कुलपति Dr. Pro.Col T.P.S. Kandra साल भर में कभी विश्वविद्यालय में उपस्थित नहीं रहते, जब विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की कोई समस्या होती है तो कुलपति से मुलाकात तो दूर उनके दर्शन भी नहीं हो पाते हैं, छात्र छात्राओं ने पूर्व में जिसकी शिकायत भी विश्वविद्यालय प्रशासन से किया है, परंतु छात्रहित में कोई कार्रवाई नही होती, छात्र-छात्राओं को कह दिया जाता है कि कुलपति आज छुट्टी पर है, अथवा उनका स्वास्थ्य खराब है, इत्यादि कहकर छात्र-छात्राओं के समस्याओं को दबाया जाता है, या उन्हें चुप करा दिया जाता है, महोदय इनकी समस्त दस्तावेजों की जांच की जाये l

    (8) सहायक कुलसचिव परीक्षा विभाग की फर्जी नियुक्ती – महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर के परीक्षा विभाग के सहायक कुलसचिव(परीक्षा) कैप्टन मुकेश अदलखा की नियुक्ति भी गलत एवं प्रावधान के विरुद्ध फर्जी तरीके से किया गया है, नियमानुसार सहायक कुलसचिव परीक्षा के पद पर नियुक्ति के लिए कम से कम किसी भी व्यक्ति को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर होना चाहिए तथा उच्च शिक्षा विभाग का अनुभव होना चाहिए, परंतु सहायक कुलसचिव(परीक्षा) मुकेश अदलखा ना तो असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और ना ही उन्हें उच्च शिक्षा विभाग का कोई अनुभव है, इसके बावजूद उनका असंवैधानिक रूप से नियुक्ति किया गया है, इसकी जांच कर कार्रवाई किया जाए। (9) मान्यता लेते वक्त भूमि भवन के फर्जी दस्तावेज – किसी भी विश्वविद्यालय को छत्तीसगढ़ राज्य निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/राज्य शासन/यूजीसी से मान्यता प्राप्त करने हेतु जितनी जमीन की आवश्यकता होती है (लगभग 25 एकड़ से ज्यादा) इतनी जमीन महर्षि विश्वविद्यालय के नाम से पंजीकृत तो है, परंतु खंड खंड रूप में अलग अलग जगहों पर है, जिसमे महर्षि विश्वविद्यालय का प्रशासनिक भवन लगभग तीन एकड़, उसके थोड़ी दूर में शैक्षणिक भवन लगभग 17 एकड़ जमीन में और मान्यता लेते वक्त तखतपुर ब्लॉक के बहतराई ग्राम में महर्षि विश्वविद्यालय के नाम से पंजीकृत लगभग 37 एकड़ जमीन को दर्शाया गया है,मगर हमारी जानकारी के अनुसार उस 37 एकड़ जमीन में से लगभग 27 एकड़ जमीन अपने निजी लाभ हेतु विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बिना यूजीसी/सीजीपीयूआरसी/राज्य शासन को सूचित किए बिना यूजीसी/सीजीपीयूआरसी/राज्य शासन के नियमों का उल्लंघन करते हुए उनके बिना अनुमति के विक्रय कर चुकी है, एक साथ बिना पर्याप्त भूमि/भवन के विश्वविद्यालय संचालन असंवैधानिक है इसकी जांच कराई जाए, जिसका समस्त दस्तावेज राजस्व विभाग से प्राप्त किया जा सकता है l

    (10) मान्यता लेते वक्त सिर्फ दस्तावेजों में छात्रावास – किसी भी निजी विश्वविद्यालय को छत्तीसगढ़ राज्य निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/राज्य शासन/यूजीसी से मान्यता प्राप्त करने हेतु बालक तथा बालिकाओं का पृथक पृथक हॉस्टल निर्माण कराना आवश्यक होता है, महर्षि विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त करते समय बालक एवं बालिकाओं के छात्रावास दर्शाया गया है, परंतु महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर द्वारा बालिका छात्रावास का निर्माण आज तक नहीं किया गया है विश्वविद्यालय प्रशासन के पास बालिका छात्रावास की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है इसकी जांच कर कारवाई किया जाए।

    (11)राज्य शासन द्वारा मान्यता रद्द करने के बाद D.EL.ED का संचालन :- सन 2014 में महर्षि विश्वविद्यालय ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर की मान्यता छत्तीसगढ़ निजि विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/यूजीसी/राज्य शासन के नियमों का उलंघन कर उनके शर्तों का पालन नही करने के कारण राज्य शासन द्वारा रद्द कर दी गयी थी परंतु उसके बावजूद भी लगातार महर्षि विश्वविद्यालय ने अपने नाम से D.EL.ED कोर्स का संचालन CG BOARD से संबद्धता लेकर किया,महोदय हमारी जानकारी के अनुसार जब 2014 में महर्षि विश्वविद्यालय की मान्यता राज्य शासन द्वारा रद्द कर दी गयी थी तो फिर ये इसी नाम से (महर्षि विश्वविद्यालय) संचालित नही कर सकते थे, उसके बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा नियम के विरुद्ध D.EL.ED का संचालन कर सभी छात्र-छात्राओं के साथ छल करते हुए उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है इस पत्र के साथ D.EL.ED के समस्त अंकसूची संलग्न हैं, जांच कर कारवाई किया जाए।

    (12)एक ही भूमि/भवन/दस्तावेज में एक साथ दो संस्थाओं का संचालन :- सन 2014 में जब महर्षि विश्वविद्यालय आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर की मान्यता राज्य शासन ने रद्द कर दी थी, इसके पश्चात विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा महर्षि शिक्षा संस्थान के नाम से विश्वविद्यालय के ही समस्त दस्तावेज जैसे भूमि,भवन इत्यादि को दर्शाते हुए पुनः सत्र 2017-18 में सीजी बोर्ड से D.EL.ED के संचालन के लिए संबद्धता लिया गया, इसके पश्चात जब सन् 2020 में महर्षि विश्वविद्यालय की मान्यता पुनः बहाल किया गया, तब से अभी वर्तमान तिथि तक छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/यूजीसी/राज्य शासन के नियमविरुद्ध उसी भूमि भवन में महर्षि विश्वविद्यालय आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी एवं महर्षि शिक्षा संस्थान दोनों एक ही दस्तावेज भूमि/भवन के साथ संचालित है, महोदय एक ही भूमि भवन एवं दस्तावेज के आधार पर छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/यूजीसी/राज्य शासन की आंखों में धूल झोंक कर दो संस्थान( महर्षि विश्वविद्यालय मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी एवं महर्षि शिक्षा संस्थान) एक साथ चलाए जा रहे हैं, जो कि केवल अपने आर्थिक लाभ हेतु विद्यार्थियों के साथ कपट कर किया जा रहा है इसकी समस्त जानकारी जो कि इंटरनेट पर भी उपलब्ध है इस पत्र के साथ संलग्न है।

    (13) कुलाधिपति (चांसलर) पर बलात्कार जैसे घनघोर अपराध का आरोप – राष्ट्रीय मीडिया चैनल AAJ TAK और ZEE NEWS के समाचार के अनुसार महर्षि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गिरीश चंद्र वर्मा जो कि स्वयं को ब्रह्मचारी बताते हैं वह खुद अरबों खरबों रुपयों के संपत्ति के वारिश हैं उनके ऊपर सन 2013 में उनके विश्वविद्यालय की ही एक महिला शिक्षक/कर्मचारी ने यह आरोप लगाया है कि महर्षि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गिरीश चंद्र वर्मा ने उनके साथ 16 वर्षों तक लगातार बलात्कार जैसे घनघोर अपराध किया है, यह स्पष्ट है कि ऐसे अपराधी के संरक्षण में महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर छत्तीसगढ़ भी किस तरह अपनी मनमानी एवं फर्जीवाड़ा कर विश्वविद्यालय चला रही है। (14) वैध एवं फर्जी संस्था की जाँच – महोदय वर्तमान में मंगला बिलासपुर में महर्षि विश्वविद्यालय ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी और महर्षि शिक्षा संस्थान दोनों एक ही भूमि/भवन/दस्तावेज पर संचालित हैं, इन दोनों संस्थाओं में से कौन सी संस्था वैध है एवं कौन सी संस्था फर्जी रूप से संचालित है इसकी जाँच किया जाए, साथ ही इन दोनों संस्थाओं में उच्च पदों में पदस्थ जैसे कुलपति,कुलसचिव,सहायक कुलसचिव परीक्षा विभाग,प्राचार्य एवं विभागाध्यक्ष के योग्यताओं संबंधी समस्त दस्तावेजों की सम्पूर्ण जाँच किया जाए।

    एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह ने कहा कि महर्षि विश्वविद्यालय ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी बिलासपुर(छ.ग.) का जिस प्रकार से दूसरे प्रदेश से आये हुए लोगों द्वारा छत्तीसगढ़ वासियों से छल कर यूजीसी/छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/राज्य शासन जैसे संस्थानों के नियम-कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए अपनी मनमानी कर असंवैधानिक,गैरकानूनी और फर्जीवाडा कर कूटनीति से केवल आर्थिक लाभ हेतु संचालन किया जा रहा है जो कि असहनीय एवं बेहद गंभीर एवं चिंताजनक विषय है पूर्व में मेरे द्वारा पत्र के माध्यम से विश्वविद्यालय को सेंटर और अनेक गड़बड़ियों की शिकायत यहाँ के कुलसचिव डॉ. विजय गारूढ़िक को किया गया था, परंतु उनके द्वारा लिखित रूप में मुझे गलत जानकारी देकर मुझे भ्रमित करने का प्रयास किया गया,जिसकी प्रति मैं इस पत्र के साथ संलग्न कर रहा हूँ।

    यह संस्था जो बाहरी राज्य से आकर छत्तीसगढ़ के भोले भाले जनता एवं विद्यार्थियों को शोषण कर भ्रमित कर रही है, शिक्षा के नाम पर सिर्फ फर्जीवाड़ा किया जा रहा है, शासन द्वारा प्रदान किए जा रहे छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला किया जा रहा है, यह सभी कार्य बाहरी संस्था और बाहरी प्राध्यापकों द्वारा किया जा रहा है।

    उपरोक्त बिंदुओं में किये गए प्रत्येक शिकायत इस बात का प्रमाण है कि यह विश्वविद्यालय पूरे तरीके से भ्रष्ट और फर्जी है ऐसे विश्वविद्यालय का छत्तीसगढ़ राज्य के साथ साथ पूरे भारत देश में संचालन होना बेहद ही अपमानजनक है ऐसे विश्वविद्यालय जो शिक्षाविद का स्तर निम्न करने पर लगे हुए हैं इस पर उच्च स्तरीय जाँच कमेटी बनाकर इसकी मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर कानूनी कार्रवाई के साथ दोषियों को सजा दिया जाए,साथ ही एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह ने इस विषय पर एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई नही किये जाने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कराए जाने की बात कही।

    आज के कार्यक्रम में मुख्य रूप से एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह के साथ युवा कांग्रेस मीडिया विभाग जिलाध्यक्ष निखिल सोनी,प्रदेश सचिव लोकेश नायक,बेलतरा विधानसभा अध्यक्ष विक्की यादव,मस्तूरी विधानसभा अध्यक्ष विकास मधुकर,ऋषि पटेल,विपिन साहू,प्रवीण साहू,आशीष पटेल, उमेश चंद्रवंशी,भरत साहू,अवनीश पांडेय, विकास पटेल,तरुण यादव,दया नायक,आदित्यान्श शुक्ला आदि बड़ी संख्या में एनएसयूआई के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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    बिलासपुर.. Cgatoznews...आज दिनाँक 07/07/2023 शुक्रवार को एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह के नेतृत्व में महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर में हो रहे सभी घोटालों और विश्वविद्यालय में व्याप्त अनियमितता एवं नियम विरुद्ध चल रहे सभी कार्यों के विरुद्ध जाँच कमेटी बनाकर कार्रवाई करन एवं एक आरटीआई आवेदक के द्वारा राजभवन से प्राप्त महर्षि विश्वविद्यालय के कुलपति के नियुक्ति के दस्तावेजों की जांच कर गलत पाए जाने पर कुलपति के ऊपर उक्त धारा के तहत एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने के लिए अतिरिक्त कलेक्टर आर ए कुरुवंशी को ज्ञापन सौंपा गया। एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह ने ज्ञापन के माध्यम से अतिरिक्त कलेक्टर को अवगत कराया है कि बिलासपुर जिले में संचालित महर्षि विश्वविद्यालय आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर छत्तीसगढ़ द्वारा छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/राज्य शासन एवं यूजीसी के नियम एवं शर्तों को दरकिनार करते हुए मनमाने तरीके से अध्ययनरत विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर फर्जीवाड़ा तरीके से विश्वविद्यालय चलाया जा रहा है महर्षि विश्वविद्यालय बिलासपुर द्वारा नियम विरुद्ध किए जा रहे फर्जीवाड़े की शिकायत निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से किया गया - (1) नियम विरुद्ध प्राइवेट सेंटर चलाना - महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर द्वारा छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/राज्य शासन/यूजीसी के नियम विरुद्ध कैंपस के बाहर पूरे प्रदेश में लगभग 18 सेंटर संचालित किए जा रहे हैं, जिसकी सूची इस पत्र के साथ संलग्न है जबकि नियमानुसार विश्वविद्यालय द्वारा कैंपस के बाहर (यूटीडी के अलावा) कोई भी सेंटर नहीं चलाया जा सकता, किसी भी सेंटर को संबद्धता प्रदान करने की शक्ति महर्षि विश्वविद्यालय को नहीं है, जबकि अपने निजी आर्थिक लाभ हेतु इनके द्वारा लगभग 18 सेंटर चलाया जा रहे हैं, इन सेंटरों में अध्ययनरत विद्यार्थियों का नामांकन क्रमांक संचालित प्राइवेट सेंटरों के सरल क्रमांक के अनुसार है, नामांकन सूची भी पत्र में संलग्न है। (2) छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों का घोटाला - महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर को कैंपस यूटीडी भवन में अध्यापन का कार्य करने हेतु मान्यता प्राप्त है, अतः यहां पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति मिलना चाहिए, छात्रवृत्ति का लाभ लेने के लिए प्रत्येक विद्यार्थी को विश्वविद्यालय कैंपस/यूटीडी कक्षा में अपना 75% भौतिक उपस्थिति दर्ज करना आवश्यक है, परंतु विश्वविद्यालय द्वारा संचालित प्राइवेट सेंटर में फर्जी तरीके से प्रवेश कराए गए छात्रों को नियम विरुद्ध अपने विश्वविद्यालय का कोड आबंटित कर छात्रवृत्ति प्रदान किया जाता है, जबकि कोई भी विद्यार्थी विश्वविद्यालय में पूरे सत्र भर में कभी उपस्थित नहीं रहते हैं इस प्रकार गैरकानूनी तरीके से राज्य शासन को भी वित्तीय क्षति पहुंचाते हुए छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला महर्षि विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है, इस गैरकानूनी कार्य के लिए महर्षि विश्वविद्यालय प्रशासन के ऊपर उक्त धारा के तहत एफ.आई.आर. दर्ज करवा कर कार्यवाही किया जाए। (3) एक ही वर्ष में स्नातकोत्तर का रिजल्ट मुहैया कराना - महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर में एम.ए.योग पाठ्यक्रम केवल एक सत्र (मात्र 1 वर्ष) में ही पूर्ण करा दिया गया है, इस पत्र में संलग्न सभी सेमेस्टर की अंकसूची में सत्र 2021-22 अंकित है जबकि किसी भी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में स्नातकोत्तर (पीजी कोर्स) न्यूनतम 2 वर्ष का होता है इसमें महर्षि विश्वविद्यालय द्वारा फर्जीवाड़ा कर एक ही सत्र में छात्र-छात्राओं को एम.ए.योग की डिग्री प्रदान किया गया है, जिससे विद्यार्थी बेहद परेशान है एवं किसी अन्य विश्वविद्यालय महाविद्यालय अथवा वे किसी रोजगार के लिए आवेदन कर रहे हैं, तो उन्हें डिग्री फर्जी है कहकर उनका आवेदन निरस्त कर दिया जाता है, ऐसे में सभी विद्यार्थी बेहद हताश एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित हैं, इसकी जाँच कर कड़ी कार्रवाई किया जाए, एक ही सत्र में दिए गए सभी अंकसूची की छायाप्रति इस पत्र में संलग्न है। (4) बिना पीजी कोर्स के फर्जी तरीके से पीएचडी करवाना - किसी भी विश्वविद्यालय में पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित होने से पूर्व उस विषय से संबंधित स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (पीजी कोर्स/मास्टर डिग्री) 2 वर्ष संचालित होना आवश्यक है, महर्षि विश्वविद्यालय में जिन विषयों को लेकर पीएचडी पाठ्यक्रम संचालित की जा रही है उन विषयों के मास्टर डिग्री के लिए शासन स्तर से ऑर्डिनेंस भी पास नहीं है, महर्षि विश्वविद्यालय मास्टर डिग्री तो करा नहीं सकता तो क्या इस विश्वविद्यालय द्वारा संचालित पीएचडी पाठ्यक्रम वैधानिक है? महर्षि विश्वविद्यालय केवल नोटिफिकेशन (विज्ञापन) निकालती है धन लाभ के लिए एग्जाम लेने के बाद प्रवेश नहीं देते, आप संलग्न पीएचडी सूची में देख सकते हैं कि योगा में कोई भी प्रवेश नहीं दिया गया जबकि सिलेक्शन लिस्ट निकाला गया है। नोटिफिकेशन दिनांक 10/09/2022 इसके बाद 27/01/2022 फिर 10/12/2022 इस प्रकार से फार्म भरने की तारीख ही निकालते हैं जिससे छात्र छात्राओं को आर्थिक एवं मानसिक नुकसान हो रहा है उक्त फर्जीवाड़ा पर जल्द से जल्द रोक लगाएं l (5) परीक्षा हॉल मे चहेते छात्रों को खुलेआम नकल करवाना - महर्षि विश्वविद्यालय ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर छत्तीसगढ़ में मुख्य परीक्षा के समय परीक्षा हाल में यहां के बड़े अधिकारियों के चहेते छात्र छात्राओं को अपने निजी आर्थिक लाभ के लिए खुलेआम प्रश्न पत्र में दिए गए, सभी प्रश्नों के उत्तर उन्हें दे दिए जाते हैं, और वह विद्यार्थी उन उत्तर पुस्तिकाओं को देखकर अपना पर्चा हल करते हैं, विश्वविद्यालय प्रशासन का यह कृत्य भी छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/राज्य शासन के नियमों की अवहेलना कर अनुशासनहीनता को स्पष्ट दर्शाता है जिस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए,विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षा हॉल में कराए जा रहे नकल का फोटोग्राफ इस पत्र के साथ संलग्न है। इस गैरकानूनी कार्य के लिए कुलपति, कुलसचिव और सहायक कुलसचिव परीक्षा विभाग के ऊपर ऊपर उक्त धारा के तहत एफ.आई.आर. दर्ज करवा कर कार्यवाही किया जाए। (6) शिक्षकों के अभाव में विश्वविद्यालय चलाना - महर्षि विश्वविद्यालय ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर छत्तीसगढ़ में सभी संकाय जो यहां संचालित है, उनमें विश्वविद्यालय के अनुसार लगभग एक हजार (1000) से ज्यादा विद्यार्थी यहां अध्ययनरत हैं, जबकि इन विद्यार्थियों को अध्ययन का कार्य कराने हेतु विश्वविद्यालय प्रशासन के पास मात्र 5 शिक्षक नियमित रूप से नियुक्त किए गए हैं। क्या केवल 5 शिक्षक हजारों बच्चों को प्रत्येक पाठ्यक्रम के विषयों को पढ़ा सकते हैं? महर्षि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के भविष्य को दांव में लगाकर केवल आर्थिक लाभ हेतु कार्य कर रही है, और साथ ही इस विश्वविद्यालय में कोई भी प्राध्यापक अथवा स्टॉफ छत्तीसगढ़ का मूल निवासी तक नहीं है, पूर्व में छत्तीसगढ़ के निवासी प्राध्यापक एवं स्टाफ के रूप में कार्यरत थे परंतु जानबूझकर छत्तीसगढ़िया लोगों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के बाद या तो उन्हें निकाल दिया गया या फिर वे स्वयं इस्तीफा देकर चले गए, वर्तमान में सभी शैक्षणिक स्टाफ छत्तीसगढ़ प्रदेश के बाहर के हैं, और छत्तीसगढ़ में आकर मनमाने तरीके से लूट खसौट मचाकर विश्वविद्यालय संचालित कर रहे हैं, छत्तीसगढ़ के लोगों से इस प्रकार का सौतेला व्यवहार करने वालों एवं 1000 विद्यार्थियों को मात्र 5 शिक्षक कैसे शिक्षा प्रदान कर रहे हैं इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग एनएसयूआई करती है। (7) बिना योग्यता / अनुभव और फर्जी दस्तावेजों के साथ कुलपति बनना - महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर के कुलपति Dr. Pro.Col T.P.S. Kandra के पास वे सभी योग्यता नहीं है कि वह कुलपति के पद पर नियुक्त हो सके, हमारी मांग है कि कुलपति के नियुक्ति हेतु जो आवश्यक योग्यता एवं अनुभव होनी चाहिए l क्या वह अनुभव एवं योग्यता कुलपति Dr. Pro.Col T.P.S. Kandra के पास है ? महोदय आपसे अनुरोध है कि कुलपति Dr. Pro.Col T.P.S. Kandra की नियुक्ति के समस्त दस्तावेजों की जांच बारीकी से किया जाए। आरोप यह भी है कि कुलपति Dr. Pro.Col T.P.S. Kandra साल भर में कभी विश्वविद्यालय में उपस्थित नहीं रहते, जब विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की कोई समस्या होती है तो कुलपति से मुलाकात तो दूर उनके दर्शन भी नहीं हो पाते हैं, छात्र छात्राओं ने पूर्व में जिसकी शिकायत भी विश्वविद्यालय प्रशासन से किया है, परंतु छात्रहित में कोई कार्रवाई नही होती, छात्र-छात्राओं को कह दिया जाता है कि कुलपति आज छुट्टी पर है, अथवा उनका स्वास्थ्य खराब है, इत्यादि कहकर छात्र-छात्राओं के समस्याओं को दबाया जाता है, या उन्हें चुप करा दिया जाता है, महोदय इनकी समस्त दस्तावेजों की जांच की जाये l (8) सहायक कुलसचिव परीक्षा विभाग की फर्जी नियुक्ती - महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर के परीक्षा विभाग के सहायक कुलसचिव(परीक्षा) कैप्टन मुकेश अदलखा की नियुक्ति भी गलत एवं प्रावधान के विरुद्ध फर्जी तरीके से किया गया है, नियमानुसार सहायक कुलसचिव परीक्षा के पद पर नियुक्ति के लिए कम से कम किसी भी व्यक्ति को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर होना चाहिए तथा उच्च शिक्षा विभाग का अनुभव होना चाहिए, परंतु सहायक कुलसचिव(परीक्षा) मुकेश अदलखा ना तो असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और ना ही उन्हें उच्च शिक्षा विभाग का कोई अनुभव है, इसके बावजूद उनका असंवैधानिक रूप से नियुक्ति किया गया है, इसकी जांच कर कार्रवाई किया जाए। (9) मान्यता लेते वक्त भूमि भवन के फर्जी दस्तावेज - किसी भी विश्वविद्यालय को छत्तीसगढ़ राज्य निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/राज्य शासन/यूजीसी से मान्यता प्राप्त करने हेतु जितनी जमीन की आवश्यकता होती है (लगभग 25 एकड़ से ज्यादा) इतनी जमीन महर्षि विश्वविद्यालय के नाम से पंजीकृत तो है, परंतु खंड खंड रूप में अलग अलग जगहों पर है, जिसमे महर्षि विश्वविद्यालय का प्रशासनिक भवन लगभग तीन एकड़, उसके थोड़ी दूर में शैक्षणिक भवन लगभग 17 एकड़ जमीन में और मान्यता लेते वक्त तखतपुर ब्लॉक के बहतराई ग्राम में महर्षि विश्वविद्यालय के नाम से पंजीकृत लगभग 37 एकड़ जमीन को दर्शाया गया है,मगर हमारी जानकारी के अनुसार उस 37 एकड़ जमीन में से लगभग 27 एकड़ जमीन अपने निजी लाभ हेतु विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बिना यूजीसी/सीजीपीयूआरसी/राज्य शासन को सूचित किए बिना यूजीसी/सीजीपीयूआरसी/राज्य शासन के नियमों का उल्लंघन करते हुए उनके बिना अनुमति के विक्रय कर चुकी है, एक साथ बिना पर्याप्त भूमि/भवन के विश्वविद्यालय संचालन असंवैधानिक है इसकी जांच कराई जाए, जिसका समस्त दस्तावेज राजस्व विभाग से प्राप्त किया जा सकता है l (10) मान्यता लेते वक्त सिर्फ दस्तावेजों में छात्रावास - किसी भी निजी विश्वविद्यालय को छत्तीसगढ़ राज्य निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/राज्य शासन/यूजीसी से मान्यता प्राप्त करने हेतु बालक तथा बालिकाओं का पृथक पृथक हॉस्टल निर्माण कराना आवश्यक होता है, महर्षि विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त करते समय बालक एवं बालिकाओं के छात्रावास दर्शाया गया है, परंतु महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर द्वारा बालिका छात्रावास का निर्माण आज तक नहीं किया गया है विश्वविद्यालय प्रशासन के पास बालिका छात्रावास की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है इसकी जांच कर कारवाई किया जाए। (11)राज्य शासन द्वारा मान्यता रद्द करने के बाद D.EL.ED का संचालन :- सन 2014 में महर्षि विश्वविद्यालय ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर की मान्यता छत्तीसगढ़ निजि विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/यूजीसी/राज्य शासन के नियमों का उलंघन कर उनके शर्तों का पालन नही करने के कारण राज्य शासन द्वारा रद्द कर दी गयी थी परंतु उसके बावजूद भी लगातार महर्षि विश्वविद्यालय ने अपने नाम से D.EL.ED कोर्स का संचालन CG BOARD से संबद्धता लेकर किया,महोदय हमारी जानकारी के अनुसार जब 2014 में महर्षि विश्वविद्यालय की मान्यता राज्य शासन द्वारा रद्द कर दी गयी थी तो फिर ये इसी नाम से (महर्षि विश्वविद्यालय) संचालित नही कर सकते थे, उसके बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा नियम के विरुद्ध D.EL.ED का संचालन कर सभी छात्र-छात्राओं के साथ छल करते हुए उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है इस पत्र के साथ D.EL.ED के समस्त अंकसूची संलग्न हैं, जांच कर कारवाई किया जाए। (12)एक ही भूमि/भवन/दस्तावेज में एक साथ दो संस्थाओं का संचालन :- सन 2014 में जब महर्षि विश्वविद्यालय आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी मंगला बिलासपुर की मान्यता राज्य शासन ने रद्द कर दी थी, इसके पश्चात विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा महर्षि शिक्षा संस्थान के नाम से विश्वविद्यालय के ही समस्त दस्तावेज जैसे भूमि,भवन इत्यादि को दर्शाते हुए पुनः सत्र 2017-18 में सीजी बोर्ड से D.EL.ED के संचालन के लिए संबद्धता लिया गया, इसके पश्चात जब सन् 2020 में महर्षि विश्वविद्यालय की मान्यता पुनः बहाल किया गया, तब से अभी वर्तमान तिथि तक छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/यूजीसी/राज्य शासन के नियमविरुद्ध उसी भूमि भवन में महर्षि विश्वविद्यालय आफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी एवं महर्षि शिक्षा संस्थान दोनों एक ही दस्तावेज भूमि/भवन के साथ संचालित है, महोदय एक ही भूमि भवन एवं दस्तावेज के आधार पर छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/यूजीसी/राज्य शासन की आंखों में धूल झोंक कर दो संस्थान( महर्षि विश्वविद्यालय मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी एवं महर्षि शिक्षा संस्थान) एक साथ चलाए जा रहे हैं, जो कि केवल अपने आर्थिक लाभ हेतु विद्यार्थियों के साथ कपट कर किया जा रहा है इसकी समस्त जानकारी जो कि इंटरनेट पर भी उपलब्ध है इस पत्र के साथ संलग्न है। (13) कुलाधिपति (चांसलर) पर बलात्कार जैसे घनघोर अपराध का आरोप - राष्ट्रीय मीडिया चैनल AAJ TAK और ZEE NEWS के समाचार के अनुसार महर्षि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गिरीश चंद्र वर्मा जो कि स्वयं को ब्रह्मचारी बताते हैं वह खुद अरबों खरबों रुपयों के संपत्ति के वारिश हैं उनके ऊपर सन 2013 में उनके विश्वविद्यालय की ही एक महिला शिक्षक/कर्मचारी ने यह आरोप लगाया है कि महर्षि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गिरीश चंद्र वर्मा ने उनके साथ 16 वर्षों तक लगातार बलात्कार जैसे घनघोर अपराध किया है, यह स्पष्ट है कि ऐसे अपराधी के संरक्षण में महर्षि विश्वविद्यालय मंगला बिलासपुर छत्तीसगढ़ भी किस तरह अपनी मनमानी एवं फर्जीवाड़ा कर विश्वविद्यालय चला रही है। (14) वैध एवं फर्जी संस्था की जाँच - महोदय वर्तमान में मंगला बिलासपुर में महर्षि विश्वविद्यालय ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी और महर्षि शिक्षा संस्थान दोनों एक ही भूमि/भवन/दस्तावेज पर संचालित हैं, इन दोनों संस्थाओं में से कौन सी संस्था वैध है एवं कौन सी संस्था फर्जी रूप से संचालित है इसकी जाँच किया जाए, साथ ही इन दोनों संस्थाओं में उच्च पदों में पदस्थ जैसे कुलपति,कुलसचिव,सहायक कुलसचिव परीक्षा विभाग,प्राचार्य एवं विभागाध्यक्ष के योग्यताओं संबंधी समस्त दस्तावेजों की सम्पूर्ण जाँच किया जाए। एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह ने कहा कि महर्षि विश्वविद्यालय ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी बिलासपुर(छ.ग.) का जिस प्रकार से दूसरे प्रदेश से आये हुए लोगों द्वारा छत्तीसगढ़ वासियों से छल कर यूजीसी/छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग/राज्य शासन जैसे संस्थानों के नियम-कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए अपनी मनमानी कर असंवैधानिक,गैरकानूनी और फर्जीवाडा कर कूटनीति से केवल आर्थिक लाभ हेतु संचालन किया जा रहा है जो कि असहनीय एवं बेहद गंभीर एवं चिंताजनक विषय है पूर्व में मेरे द्वारा पत्र के माध्यम से विश्वविद्यालय को सेंटर और अनेक गड़बड़ियों की शिकायत यहाँ के कुलसचिव डॉ. विजय गारूढ़िक को किया गया था, परंतु उनके द्वारा लिखित रूप में मुझे गलत जानकारी देकर मुझे भ्रमित करने का प्रयास किया गया,जिसकी प्रति मैं इस पत्र के साथ संलग्न कर रहा हूँ। यह संस्था जो बाहरी राज्य से आकर छत्तीसगढ़ के भोले भाले जनता एवं विद्यार्थियों को शोषण कर भ्रमित कर रही है, शिक्षा के नाम पर सिर्फ फर्जीवाड़ा किया जा रहा है, शासन द्वारा प्रदान किए जा रहे छात्रवृत्ति के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला किया जा रहा है, यह सभी कार्य बाहरी संस्था और बाहरी प्राध्यापकों द्वारा किया जा रहा है। उपरोक्त बिंदुओं में किये गए प्रत्येक शिकायत इस बात का प्रमाण है कि यह विश्वविद्यालय पूरे तरीके से भ्रष्ट और फर्जी है ऐसे विश्वविद्यालय का छत्तीसगढ़ राज्य के साथ साथ पूरे भारत देश में संचालन होना बेहद ही अपमानजनक है ऐसे विश्वविद्यालय जो शिक्षाविद का स्तर निम्न करने पर लगे हुए हैं इस पर उच्च स्तरीय जाँच कमेटी बनाकर इसकी मान्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर कानूनी कार्रवाई के साथ दोषियों को सजा दिया जाए,साथ ही एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह ने इस विषय पर एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई नही किये जाने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कराए जाने की बात कही। आज के कार्यक्रम में मुख्य रूप से एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह के साथ युवा कांग्रेस मीडिया विभाग जिलाध्यक्ष निखिल सोनी,प्रदेश सचिव लोकेश नायक,बेलतरा विधानसभा अध्यक्ष विक्की यादव,मस्तूरी विधानसभा अध्यक्ष विकास मधुकर,ऋषि पटेल,विपिन साहू,प्रवीण साहू,आशीष पटेल, उमेश चंद्रवंशी,भरत साहू,अवनीश पांडेय, विकास पटेल,तरुण यादव,दया नायक,आदित्यान्श शुक्ला आदि बड़ी संख्या में एनएसयूआई के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे।