More

    *आखिर कँहा 12 दिन बाद हाथी के शावक ने दम तोड़ दिया पढ़े पूरी खबर*

    बिलासपुर.. जशपुर.. Cgatoznews…12 दिन तड़प-तड़प के जीने के पश्चात छत्तीसगढ़ के जशपुर के रीड की हड्डी टूटे और दोनों पावों में लकवा ग्रस्त हाथी शावक की आज मौत हो गई। इस बीच वन विभाग ने हमारे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया और पत्रकारों को हाथी शावक को देखने ना दिया, न ही उसका स्वस्थ की जानकारी सार्वजनिक की गई। ऐसा क्या जादुई इलाज करा रहे थे कि मीडिया को नहीं जाने दिया गया? इसका जवाब वन विभाग को देना चाहिए।

    एक चीज समझ में नहीं आई कि जब रीड की हड्डी टूट गई थी, दोनों पांव में लकवा मार दिया था और जब वन विभाग को भी मालूम था कि वह जिंदा नहीं रह सकेगा तो उसका इलाज क्यों करवाते रहे? क्यों इतनी दर्दनाक मृत्यु दी गई? क्या दर्दनाक मृत्यु देना मानवता है? सात दिन पहले दया मृत्यु के लिए लिखे गए पत्र का संज्ञान क्यों नहीं लिया गया?

    विशेषज्ञ डॉक्टर क्यों इलाज करते रहे? जब मालूम था वो जिन्दा नहीं रहेगा तो 12 बोतल सेलाइन प्रतिदिन क्यों चढाते रहे? पहले दिन क्यों नहीं बताया कि वह जिंदा नहीं रह सकेगा उसे दया मृत्यु दे देनी चाहिए?

    ये प्रश्न हरदम अनुत्तरित रहेंगे। परन्तु इनके उत्तरों से भविष्य के लिए वन विभाग को सीख लेनी चाहिए।

    नितिन सिंघवी
    9826126200

    Related Articles

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    Stay Connected

    161FansLike
    0SubscribersSubscribe

    Latest Articles

    बिलासपुर.. जशपुर.. Cgatoznews...12 दिन तड़प-तड़प के जीने के पश्चात छत्तीसगढ़ के जशपुर के रीड की हड्डी टूटे और दोनों पावों में लकवा ग्रस्त हाथी शावक की आज मौत हो गई। इस बीच वन विभाग ने हमारे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया और पत्रकारों को हाथी शावक को देखने ना दिया, न ही उसका स्वस्थ की जानकारी सार्वजनिक की गई। ऐसा क्या जादुई इलाज करा रहे थे कि मीडिया को नहीं जाने दिया गया? इसका जवाब वन विभाग को देना चाहिए। एक चीज समझ में नहीं आई कि जब रीड की हड्डी टूट गई थी, दोनों पांव में लकवा मार दिया था और जब वन विभाग को भी मालूम था कि वह जिंदा नहीं रह सकेगा तो उसका इलाज क्यों करवाते रहे? क्यों इतनी दर्दनाक मृत्यु दी गई? क्या दर्दनाक मृत्यु देना मानवता है? सात दिन पहले दया मृत्यु के लिए लिखे गए पत्र का संज्ञान क्यों नहीं लिया गया? विशेषज्ञ डॉक्टर क्यों इलाज करते रहे? जब मालूम था वो जिन्दा नहीं रहेगा तो 12 बोतल सेलाइन प्रतिदिन क्यों चढाते रहे? पहले दिन क्यों नहीं बताया कि वह जिंदा नहीं रह सकेगा उसे दया मृत्यु दे देनी चाहिए? ये प्रश्न हरदम अनुत्तरित रहेंगे। परन्तु इनके उत्तरों से भविष्य के लिए वन विभाग को सीख लेनी चाहिए। नितिन सिंघवी 9826126200