बिलासपुर cgatoznews.योग आयोग के सदस्य श्री रविंद्र सिंह ठाकुर ने प्रदेश के सभी महाविद्यालय, विश्वविद्यालय एवं स्कूलों में सत्र 2022 से नियमित योग कक्षा प्रारंभ करने हेतु प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल, विभागीय मंत्री श्रीमती अनिला भेड़िया, उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल एवं स्कूल शिक्षा मंत्री श्री प्रेम सिंह टेकाम जी को पत्र लिखकर मांग किया गया है। रविंद्र सिंह ने पत्र में उल्लेख किया है कि जिस प्रकार एनसीसी, एनएसएस, व्यायाम शिक्षा, संगीत शिक्षा आदि विषयों का नियमित कक्षा ली जाती है उसी प्रकार शिक्षा सत्र 2022 से नियमित योग कक्षा प्रारंभ किया जाना चाहिए।
वर्तमान प्रतिस्पर्धा के दौर में हर कोई सफलता की सीढ़ियां चढ़ने में मकसूद है, फिर चाहे रास्ता पथरीला हो या सुगम। स्थिति यह है बहुते माता-पिता भी बच्चों को सफलता की सीढियाँ अपने दम-खम पर चढ़ने के लिए विवश करते हैं। इसके लिए वे उनमें पढ़ाई के अलावा हुनर तलाशते हैं, वे चाहते हैं कि उनके बच्चे बहुत सी नई चीजों में से अवगत हो। बहु-भाषाई हो, एक्टिंग, डांसिंग, रोबोटिक्स, कोडिंग, मार्शल आर्ट्स और जिम्नास्टिक आदि से अवगत हो। देखा जाए तो माता-पिता भी गलत नहीं है, उनकी चाहत है कि बच्चे ऑलराउंडर बने और प्रतिस्पर्धा व तकनीकी युग में सफल हो। ऐसे में विद्यार्थियों को योग से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि योग विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में मदद करता है। नियमित योग के अभ्यास से विद्यार्थी के शरीर में लचीलापन आएगा। इसका प्रत्येक आसन विद्यार्थियों को सिखाता है कि कैसे विविध अंग सांसों से तालमेल करके संपूर्ण शारीरिक तंत्र को सुचारू करते हैं। योग से विद्यार्थियों में जागरूकता आती है। इसमें उन्हें अपने शरीर का सम्मान, प्यार और देखभाल करने में मदद मिलती है। इसके अलावा योग से विद्यार्थियों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। कोरोनावायरस जैसे महामारी से बचने में सहायक होती है तथा भविष्य में रोग उसके आस-पास भी नहीं भटकेगी। योग एक नेचुरल बूस्टर है जो प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करता है और एक मजबूत रक्षा तंत्र बनाने में मदद करता है। इससे हृदय में ऑक्सीजन और पोषक तत्व से भरपूर रक्त का अच्छा संचालन होता है। खराब जीवन-शैली के चलते बच्चों में कई रोग पनपते हैं। साथ ही टीवी या मोबाइल की स्क्रीन पर चिपके रहने से बच्चों को मोटापा जकड़ लेता है इनका बेहतर उपाय है- योग।
नियमित योग करने से एंडोर्फिन हॉर्मोन (खुशी का हार्मोन) निकलता है, जिससे तन-मन में खुशी व आत्मविश्वास का संचार होता है। यानी काम में अधिक मन रमता है जो सफलता की राह पर अग्रसर करता है। साथ ही यह विद्यार्थियों को खुद पर ध्यान केंद्रित करना और कमियों से अवगत होना भी सिखाता है। योग विद्यार्थियों को उनके भावनाओं के साथ पहचान नियंत्रण और व्यवहार करने में मदद करता है। यह उनकी मन की स्थितियों को नियंत्रित करता है। योग भीतर की खुशी को खोजने में मदद करता है जिससे सोच सकारात्मक होती है यही सोच कठिन से कठिन काम को कर गुजरने के लिए प्रेरित करती है। साथ ही हिम्मत बांधती है और जैसी भी परिस्थिति आए घबराते नहीं और लक्ष्य से डगमगाते नहीं सफलता अवश्य मिलती है।।।।।