More

    *मंगला पटवारी किशनलाल धीवर का नया फ़र्जीवाड़ा पढ़े पूरी खबर*

               बिलासपुर Cgatoznews राजस्व विभाग में  फ़र्जीवाड़ा रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। ताज़ातरींन घटना में पटवारी किशनलाल धीवर का नया फ़र्जीवाड़ा सामने आया है। सूरज सिंह ने लिखित में कमिश्नर बिलासपुर को शिकायत पेश किया है कि मंगला में उसने 600 वर्गफूट ज़मीन रजिस्ट्री करवायी थी । तहसीलदार ने ऑनलाइन नामांतरण आदेश कर दिया लेकिन चूँकि सूरज सिंह पटवारी से सम्पर्क नहीं कर पाया तो पटवारी ने ऑनलाइन भुइयाँ सॉफ़्टवेयर में फ़र्ज़ी ढंग से बिना रिकार्ड दुरुस्त किए अभिलेख आद्यतन पूर्ण लिखकर केस को क्लोज़ कर दिया जबकि सूरज सिंह के नाम पर ऑनलाइन या मैनुअल में नाम ही नहि चढ़ाया गया है। सूरज सिंह के साथ पटवारी ने बड़ी धोखाधड़ी फ़र्जीवाड़ा को अंजाम दे दिया। सूरज सिंह का कहना है की पटवारी किशनलाल धीवर ने मंगला के ऐसे बहुत सारे नामांतरण केस में ऐसा किया है। जो किसान पटवारी से नहीं मिल पाता या चढावा नहीं देता उसके साथ पटवारी ऐसा ही करता है। और जो किसान घूम घूम कर परेशान होकर चढ़ावा  देता है उसका रिकार्ड को फिर से दुरुस्त कर देता है। वास्तविक बात यह है कि जब से राजसव ऑनलाइन हुआ है तब से पटवारी तहसीलदार की कमाई पर बट्टा लग गया है। अब पटवारी तहसीलदार रिश्वत पाने के लिए नए नए रास्ते खोज रहे है। सूरज सिंह और बाक़ी किसानों के साथ हुई यह घटना एक उदाहरण है। इससे पूर्व तहसीलदार रमेश मोर पर भी नामांतरण केस को बिना पारित किए बिना ख़ारिज किए सीधे नामांतरण की आवश्यकता नहीं है लिखकर ग़ायब करने के आरोप लग चुके हैं जिस पर राज्य शासन आज तक केवल जाँच ही कर रही है। हो सकता है तहसीलदार के रिटायर होने के बाद जाँच रिपोर्ट आए।

    इधर भले ही कलेक्टर ने चार चार तहसीलदार बैठा दिए है बिलासपुर तहसीलदार में। लेकिन किसानो को ऐसे तहसीलदारों और पटवारियों से राहत मिलने की उम्मीद दिखती नहीं नज़र आ रही है।

    बहरहाल सूरज सिंह का कहना है कि वह  पचास चक्कर काट चुका है मंगला पटवारी आफ़ीस का। अब वह रिकार्ड नहीं सुधरवाना चाहता। वह प्रताड़ित करने वाले पटवारी के ख़िलाफ़ करवाही चाहता है। सभी दस्तावेज शिकायत में सूरज सिंह ने पेश किए हैं। मंगला पटवारी आफ़िस का जाँच किया जाएगा तो इससे भी बड़े बड़े फ़र्जीवाड़ा सामने आने की सम्भावना है।मंगला पटवारी किशनलाल धीवर का नया फ़र्जीवाड़ा
    राजस्व विभाग में फ़र्जीवाड़ा रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। ताज़ातरींन घटना में पटवारी किशनलाल धीवर का नया फ़र्जीवाड़ा सामने आया है। सूरज सिंह ने लिखित में कमिश्नर बिलासपुर को शिकायत पेश किया है कि मंगला में उसने 600 वर्गफूट ज़मीन रजिस्ट्री करवायी थी । तहसीलदार ने ऑनलाइन नामांतरण आदेश कर दिया लेकिन चूँकि सूरज सिंह पटवारी से सम्पर्क नहीं कर पाया तो पटवारी ने ऑनलाइन भुइयाँ सॉफ़्टवेयर में फ़र्ज़ी ढंग से बिना रिकार्ड दुरुस्त किए अभिलेख आद्यतन पूर्ण लिखकर केस को क्लोज़ कर दिया जबकि सूरज सिंह के नाम पर ऑनलाइन या मैनुअल में नाम ही नहि चढ़ाया गया है। सूरज सिंह के साथ पटवारी ने बड़ी धोखाधड़ी फ़र्जीवाड़ा को अंजाम दे दिया। सूरज सिंह का कहना है की पटवारी किशनलाल धीवर ने मंगला के ऐसे बहुत सारे नामांतरण केस में ऐसा किया है। जो किसान पटवारी से नहीं मिल पाता या चढावा नहीं देता उसके साथ पटवारी ऐसा ही करता है। और जो किसान घूम घूम कर परेशान होकर चढ़ावा देता है उसका रिकार्ड को फिर से दुरुस्त कर देता है। वास्तविक बात यह है कि जब से राजसव ऑनलाइन हुआ है तब से पटवारी तहसीलदार की कमाई पर बट्टा लग गया है। अब पटवारी तहसीलदार रिश्वत पाने के लिए नए नए रास्ते खोज रहे है। सूरज सिंह और बाक़ी किसानों के साथ हुई यह घटना एक उदाहरण है। इससे पूर्व तहसीलदार रमेश मोर पर भी नामांतरण केस को बिना पारित किए बिना ख़ारिज किए सीधे नामांतरण की आवश्यकता नहीं है लिखकर ग़ायब करने के आरोप लग चुके हैं जिस पर राज्य शासन आज तक केवल जाँच ही कर रही है। हो सकता है तहसीलदार के रिटायर होने के बाद जाँच रिपोर्ट आए।
    इधर भले ही कलेक्टर ने चार चार तहसीलदार बैठा दिए है बिलासपुर तहसीलदार में। लेकिन किसानो को ऐसे तहसीलदारों और पटवारियों से राहत मिलने की उम्मीद दिखती नहीं नज़र आ रही है।
    बहरहाल सूरज सिंह का कहना है कि वह पचास चक्कर काट चुका है मंगला पटवारी आफ़ीस का। अब वह रिकार्ड नहीं सुधरवाना चाहता। वह प्रताड़ित करने वाले पटवारी के ख़िलाफ़ करवाही चाहता है। सभी दस्तावेज शिकायत में सूरज सिंह ने पेश किए हैं। मंगला पटवारी आफ़िस का जाँच किया जाएगा तो इससे भी बड़े बड़े फ़र्जीवाड़ा सामने आने की सम्भावना है।

    Related Articles

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    Stay Connected

    161FansLike
    0SubscribersSubscribe

    Latest Articles

               बिलासपुर Cgatoznews राजस्व विभाग में  फ़र्जीवाड़ा रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। ताज़ातरींन घटना में पटवारी किशनलाल धीवर का नया फ़र्जीवाड़ा सामने आया है। सूरज सिंह ने लिखित में कमिश्नर बिलासपुर को शिकायत पेश किया है कि मंगला में उसने 600 वर्गफूट ज़मीन रजिस्ट्री करवायी थी । तहसीलदार ने ऑनलाइन नामांतरण आदेश कर दिया लेकिन चूँकि सूरज सिंह पटवारी से सम्पर्क नहीं कर पाया तो पटवारी ने ऑनलाइन भुइयाँ सॉफ़्टवेयर में फ़र्ज़ी ढंग से बिना रिकार्ड दुरुस्त किए अभिलेख आद्यतन पूर्ण लिखकर केस को क्लोज़ कर दिया जबकि सूरज सिंह के नाम पर ऑनलाइन या मैनुअल में नाम ही नहि चढ़ाया गया है। सूरज सिंह के साथ पटवारी ने बड़ी धोखाधड़ी फ़र्जीवाड़ा को अंजाम दे दिया। सूरज सिंह का कहना है की पटवारी किशनलाल धीवर ने मंगला के ऐसे बहुत सारे नामांतरण केस में ऐसा किया है। जो किसान पटवारी से नहीं मिल पाता या चढावा नहीं देता उसके साथ पटवारी ऐसा ही करता है। और जो किसान घूम घूम कर परेशान होकर चढ़ावा  देता है उसका रिकार्ड को फिर से दुरुस्त कर देता है। वास्तविक बात यह है कि जब से राजसव ऑनलाइन हुआ है तब से पटवारी तहसीलदार की कमाई पर बट्टा लग गया है। अब पटवारी तहसीलदार रिश्वत पाने के लिए नए नए रास्ते खोज रहे है। सूरज सिंह और बाक़ी किसानों के साथ हुई यह घटना एक उदाहरण है। इससे पूर्व तहसीलदार रमेश मोर पर भी नामांतरण केस को बिना पारित किए बिना ख़ारिज किए सीधे नामांतरण की आवश्यकता नहीं है लिखकर ग़ायब करने के आरोप लग चुके हैं जिस पर राज्य शासन आज तक केवल जाँच ही कर रही है। हो सकता है तहसीलदार के रिटायर होने के बाद जाँच रिपोर्ट आए। इधर भले ही कलेक्टर ने चार चार तहसीलदार बैठा दिए है बिलासपुर तहसीलदार में। लेकिन किसानो को ऐसे तहसीलदारों और पटवारियों से राहत मिलने की उम्मीद दिखती नहीं नज़र आ रही है। बहरहाल सूरज सिंह का कहना है कि वह  पचास चक्कर काट चुका है मंगला पटवारी आफ़ीस का। अब वह रिकार्ड नहीं सुधरवाना चाहता। वह प्रताड़ित करने वाले पटवारी के ख़िलाफ़ करवाही चाहता है। सभी दस्तावेज शिकायत में सूरज सिंह ने पेश किए हैं। मंगला पटवारी आफ़िस का जाँच किया जाएगा तो इससे भी बड़े बड़े फ़र्जीवाड़ा सामने आने की सम्भावना है।मंगला पटवारी किशनलाल धीवर का नया फ़र्जीवाड़ा राजस्व विभाग में फ़र्जीवाड़ा रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। ताज़ातरींन घटना में पटवारी किशनलाल धीवर का नया फ़र्जीवाड़ा सामने आया है। सूरज सिंह ने लिखित में कमिश्नर बिलासपुर को शिकायत पेश किया है कि मंगला में उसने 600 वर्गफूट ज़मीन रजिस्ट्री करवायी थी । तहसीलदार ने ऑनलाइन नामांतरण आदेश कर दिया लेकिन चूँकि सूरज सिंह पटवारी से सम्पर्क नहीं कर पाया तो पटवारी ने ऑनलाइन भुइयाँ सॉफ़्टवेयर में फ़र्ज़ी ढंग से बिना रिकार्ड दुरुस्त किए अभिलेख आद्यतन पूर्ण लिखकर केस को क्लोज़ कर दिया जबकि सूरज सिंह के नाम पर ऑनलाइन या मैनुअल में नाम ही नहि चढ़ाया गया है। सूरज सिंह के साथ पटवारी ने बड़ी धोखाधड़ी फ़र्जीवाड़ा को अंजाम दे दिया। सूरज सिंह का कहना है की पटवारी किशनलाल धीवर ने मंगला के ऐसे बहुत सारे नामांतरण केस में ऐसा किया है। जो किसान पटवारी से नहीं मिल पाता या चढावा नहीं देता उसके साथ पटवारी ऐसा ही करता है। और जो किसान घूम घूम कर परेशान होकर चढ़ावा देता है उसका रिकार्ड को फिर से दुरुस्त कर देता है। वास्तविक बात यह है कि जब से राजसव ऑनलाइन हुआ है तब से पटवारी तहसीलदार की कमाई पर बट्टा लग गया है। अब पटवारी तहसीलदार रिश्वत पाने के लिए नए नए रास्ते खोज रहे है। सूरज सिंह और बाक़ी किसानों के साथ हुई यह घटना एक उदाहरण है। इससे पूर्व तहसीलदार रमेश मोर पर भी नामांतरण केस को बिना पारित किए बिना ख़ारिज किए सीधे नामांतरण की आवश्यकता नहीं है लिखकर ग़ायब करने के आरोप लग चुके हैं जिस पर राज्य शासन आज तक केवल जाँच ही कर रही है। हो सकता है तहसीलदार के रिटायर होने के बाद जाँच रिपोर्ट आए। इधर भले ही कलेक्टर ने चार चार तहसीलदार बैठा दिए है बिलासपुर तहसीलदार में। लेकिन किसानो को ऐसे तहसीलदारों और पटवारियों से राहत मिलने की उम्मीद दिखती नहीं नज़र आ रही है। बहरहाल सूरज सिंह का कहना है कि वह पचास चक्कर काट चुका है मंगला पटवारी आफ़ीस का। अब वह रिकार्ड नहीं सुधरवाना चाहता। वह प्रताड़ित करने वाले पटवारी के ख़िलाफ़ करवाही चाहता है। सभी दस्तावेज शिकायत में सूरज सिंह ने पेश किए हैं। मंगला पटवारी आफ़िस का जाँच किया जाएगा तो इससे भी बड़े बड़े फ़र्जीवाड़ा सामने आने की सम्भावना है।