More

    *पापी से पापी आत्मा को भी मुक्त करती है श्रीमद् भागवत कथा.. संत श्री चिन्मयानंद बापू*

    बिलासपुर.. Cgatoznews…पापी से पापी आत्मा को भी मुक्त करती है श्रीमद् भागवत कथामुंगेली नाका ग्रीन पार्क में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस में परम पूज्य संत श्री चिन्मयानंद बापू जी ने कहा श्रीमद् भागवत कथा ही एकमात्र ऐसी कथा है इसके अंदर जीवित व्यक्ति के साथ साथ मरे हुए व्यक्ति को भी मुक्त करने का सामर्थ है कोई भी व्यक्ति कितना भी पाप किया हो जीवन भर कितनी भी गलत कार्यों में लिप्त रहा हो ऐसी व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात यदि उसके नाम से
    श्रीमद्भा गवत कथा कर दी जाए सुबह भी मुक्त हो जाता है श्री बापू जी ने कहा की भागवत कथा के अंदर गोकर्ण धुंधकारी संवाद में हमें यही बताया गया कि जीवन भर धुंधकारी ने पाप किया और बाद में गोकर्ण ऋषि ने उनके नाम से श्रीमद् भागवत कथा का गान किया और वह मुक्त हुए बापूजी ने कहा कि जहां पर भागवत कथा होती है वहां पर उस समय में सारे तीर्थ सारी नदियां सारे देवता विचरण करते हैं श्रीमद् भागवत कथा कल्पतरू की तरह है जिसकी शरण में बैठने पर हमारी सारी मनोकामनाएं भागवत कथा पूर्ण करती है बापूजी ने कहा कि भागवत कथा में जो व्यक्ति जिस मनसा के साथ बैठता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं लेकिन व्यक्ति की भावना पवित्र हो और संसार के मंगल की कामना उसके मन में हो ऐसे व्यक्ति की मनोकामना भागवत कथा से पूर्ण होती है बापूजी ने कहा कि भागवत कथा मैं ऐसा समर्थ है भक्ति मैया के दोनों पुत्र ज्ञान वैराग्य वृंदावन की भूमि पर वृद्ध हो गए थे लेकिन जब श्रीमद् भागवत कथा का ज्ञान नारद जी ने सनकादिक ऋषि यों से कराया तो वृंदावन की धरा पर जो ज्ञान वैराग्य वृद्ध हो गए थे वह भी चेतन अवस्था में आकर नृत्य गान करने लगे और उनके साथ भक्ति मैया भी नृत्य करने लगी बापूजी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का बांग मय स्वरूप श्रीमद् भागवत कथा है

    Related Articles

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here

    Stay Connected

    161FansLike
    0SubscribersSubscribe

    Latest Articles

    बिलासपुर.. Cgatoznews...पापी से पापी आत्मा को भी मुक्त करती है श्रीमद् भागवत कथामुंगेली नाका ग्रीन पार्क में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस में परम पूज्य संत श्री चिन्मयानंद बापू जी ने कहा श्रीमद् भागवत कथा ही एकमात्र ऐसी कथा है इसके अंदर जीवित व्यक्ति के साथ साथ मरे हुए व्यक्ति को भी मुक्त करने का सामर्थ है कोई भी व्यक्ति कितना भी पाप किया हो जीवन भर कितनी भी गलत कार्यों में लिप्त रहा हो ऐसी व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात यदि उसके नाम से श्रीमद्भा गवत कथा कर दी जाए सुबह भी मुक्त हो जाता है श्री बापू जी ने कहा की भागवत कथा के अंदर गोकर्ण धुंधकारी संवाद में हमें यही बताया गया कि जीवन भर धुंधकारी ने पाप किया और बाद में गोकर्ण ऋषि ने उनके नाम से श्रीमद् भागवत कथा का गान किया और वह मुक्त हुए बापूजी ने कहा कि जहां पर भागवत कथा होती है वहां पर उस समय में सारे तीर्थ सारी नदियां सारे देवता विचरण करते हैं श्रीमद् भागवत कथा कल्पतरू की तरह है जिसकी शरण में बैठने पर हमारी सारी मनोकामनाएं भागवत कथा पूर्ण करती है बापूजी ने कहा कि भागवत कथा में जो व्यक्ति जिस मनसा के साथ बैठता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं लेकिन व्यक्ति की भावना पवित्र हो और संसार के मंगल की कामना उसके मन में हो ऐसे व्यक्ति की मनोकामना भागवत कथा से पूर्ण होती है बापूजी ने कहा कि भागवत कथा मैं ऐसा समर्थ है भक्ति मैया के दोनों पुत्र ज्ञान वैराग्य वृंदावन की भूमि पर वृद्ध हो गए थे लेकिन जब श्रीमद् भागवत कथा का ज्ञान नारद जी ने सनकादिक ऋषि यों से कराया तो वृंदावन की धरा पर जो ज्ञान वैराग्य वृद्ध हो गए थे वह भी चेतन अवस्था में आकर नृत्य गान करने लगे और उनके साथ भक्ति मैया भी नृत्य करने लगी बापूजी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का बांग मय स्वरूप श्रीमद् भागवत कथा है