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    *क्या डॉक्टर्स की लड़ाई में मरीजों को किया जा रहा गुमराह.. क्या है वंदना हॉस्पिटल से मरीजों को भगाने का मामला*

    बिलासपुर- हम सभी यह भली भांती जानते हैं कि.. डॉक्टर्स को धरती का भगवान कहा जाता है और सचमुच ही यह बात उस समय चरितार्थ होती दिखाई देती है जब कोई डॉक्टर किसी मरते हुए मरीज को अपने इलाज की देखता फलस्वरूप उसे जीवन दान दिया जाता है तब निसन्देह ही वह कलयुग के भगवान तुल्य हो जाते हैं.. पर यदि वही डॉक्टर्स अपने वर्चस्व की लड़ाई में आपस में अनर्गल बयानबाजी और स्तरहीन कृत्य करते हुए पर उन मरीजों की जीन्दगी को नजर अंदाज कर दें तो फिर पूरे समाज मे क्या संदेश जाएगा..डॉक्टर चंद्रशेखर उइके..

    यहाँ आपको बताते चले कि.. वंदना मल्टीस्पेशलिट हॉस्पिटल में विगत दिनों से जो आपसी विवाद चल रहा है वो अब चरम सीमा पार कर चुका है ज्ञात हो कि वंदना मल्टीस्पेशलिट हॉस्पिटल तीन डॉक्टर्स की पार्टनर शिप में किराए के भवन में संचालित हो रहा था जिसमे डॉक्टर चंद्रशेखर उइके, डॉक्टर विजय कुमार कुर्रे व डॉक्टर राजेश्वरी उद्देश्य है ये तीनो डॉक्टर्स अलग- अलग डॉ विजय कुर्रे….

    स्पेशलिटी के तहत इस हॉस्पिटल में मरीजो का इलाज करते है लेकिन कुछ दिन पूर्व इन तीनों डॉक्टर्स में से एक डॉ उइके से आपसी विवाद उत्पन्न हुआ और नतीजा ये हुआ कि.. एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का काम हो रहा है.. अब डॉक्टर चंद्रशेखर उइके ने डॉ. विजय कुर्रे और राजेश्वरी सिद्ध पर उनके मरीजों को भगाने का काम किया जा रहा है.. हैरत की बात यह है कि.. वंदना हॉस्पिटल के स्टाफ भी इस बात को स्वीकार कर रहे है और इतना ही नहीं जब उसी हॉस्पिटल की स्पेसलिस्ट डॉक्टर राजेश्वरी भी गोल मोल जवाब देकर अपनी ही बातों में उलझती नज़र आ रही है.. लेकिन डॉक्टर विजय कुर्रे आरोपों को नकारते नज़र आते है.. इसके साथ ही वंदना हॉस्पिटल के भवन मालिक संजय जैन भी डॉक्टर विजय कुर्रे के खिलाफ जबर्दस्ती करने का आरोप लगा रहे है.. इससे पहले संजय जैन के साथ हुए मारपीट को भी उन्होंने विजय कुर्रे और उनके साथियों की साजिश बताई थी.. अब आलम यह है कि.. वंदना हॉस्पिटल, डॉ राजेश्वरी उद्देश्य…

    हॉस्पिटल कम अखाड़ा ज्यादा नज़र आ रहा है.. जबकि पार्टनरशिप की बिट भी टर्मिनेट हो चुकी है लेकिन यह वर्चस्व की लड़ाई में एक दूसरे को पटखनी देने की कोशिश निरंतर जारी है.. लेकिन इन सब के बीच चन्द्रशेखर उइके से मिलने आने वाले मरीजों को भगाना सन्देह पैदा करता है कि.. भले ही आपसी लड़ाई क्यों न हो मरीजो को गुमराह कर भटकने के लिये कैसे छोड़ा जा सकता है.. क्या कहीं और भगाकर या गुमराह कर चन्द्रशेखर उइके के मरीजों को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है..? इतना ही नहीं हॉस्पिटल की लड़ाई को कुछ लोगो द्वारा धार्मिक रंग देने की कोशिश की गई थी, जिसके बाद पुलिस के लिए भी यह मामला सिरदर्द बन गया था क्योंकि भवन मालिक ने तीन महीने का अल्टीमेटम दिया था और जब वह समय खत्म हो गया तो भवन मालिक अधिकार से अपने भवन को बंद करने गया था लेकिन अचानक मौके पर पहुंची भीड़ ने संजय को पीट दिया था आज भी आखिर सवाल उठता है कि.. क्या वह घटना सुनियोजित थी या फिर यह एक घटना मात्र थी.. अंधे लँगड़े सूत्रों की माने तो हवा में एक बात उड़ रही है कि उस अस्पताल में एक ऐसा डॉक्टर भी है जिसके लिये काम करने वाले लोग एक पैर पर तैयार खड़े रहते हैं….

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