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    माता रानी की कुटिया बनी मिसाल घर से बेघर हुए वृद्ध महिलाओं का महिला दिवस पर किया गया आत्मीय स्वागत

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    बिलासपुर वो कहा जाता है न कि माता पिता जितना प्रेम अपनी संतान से करते हैं इतना प्रेम शायद संतान अपने माता-पिता से नहीं कर पाता इसी के लिए तो दुनिया की तकलीफ झेल कर माता-पिता बच्चों को बड़ा करते हैं और जब वही बच्चे अपने पालकों को घर से निकालते हैं तो ईश्वर का अभिशाप उन्हें मिलता है लेकिन समाज में ऐसे भी लोग हैं जो ऐसे वृद्ध लोगों को अपने माता पिता के समान उन्हें सम्मान देते हैं बिलासपुर के राजकिशोर नगर में माता रानी की कुटिया आज समाज के लिए एक मिसाल बना हुआ है.. जहां बिना किसी शासकीय सहयोग के बुजुर्ग महिलाओं को आश्रय देने का काम किया जा रहा है महिलाओं द्वारा संचालित किया जा रहा यह आश्रम विगत 15 वर्षों से बिलासपुर में संचालित हो रहा है.. माता रानी की कुटिया आश्रम की अध्यक्ष एम वी लक्ष्मी और कोषाध्यक्ष नीतू दुबे के प्रयासों से अपनों से दूर हो चुके वृद्ध महिलाओं को ससम्मान आश्रय देकर जीवन के अंतिम पड़ाव को सुखद बनाने का काम किया जा रहा है.. आज माता रानी की कुटिया वृद्धाश्रम में आज अलग-अलग जगहों से आए 12 बुजुर्ग महिलाओं का स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया जहां उन्हें सम्मानित का माता रानी की कुटिया आश्रम में प्रवेश दिया गया.

    आश्रम के संचालकों ने जानकारी देते हुए बताया कि बिलासपुर जिले से तीन वृद्ध महिलाएं और अलग-अलग जगहों से 9 वृद्ध महिलाओं का प्रवेश आश्रम में किया गया है अब तक उन्हें शासन से किसी भी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं होती है लेकिन आपसी सहयोग से वे इस आश्रम को विगत 15 सालों से संचालित कर रहे हैं.. ऐसी खबरें जब भी मीडिया के माध्यम से कानों तक पहुंचती है तो मन की चेतना को एक अलग अनुभव का एहसास होता है कि क्या जन्म देने के समय मृत्यु से अधिक पीड़ा सहने वाली मां को घर से निकालने वालों को क्या कभी सुख की अनुभूति हो सकती है या फिर जब वे बच्चे जिन्होंने अपने माता-पिता को घर से निकाला है उनकी संतान हो जाए तो वह अपने भविष्य की किस तरह से उम्मीद कर सकते हैं.|

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    Cgatoznews - बिलासपुर वो कहा जाता है न कि माता पिता जितना प्रेम अपनी संतान से करते हैं इतना प्रेम शायद संतान अपने माता-पिता से नहीं कर पाता इसी के लिए तो दुनिया की तकलीफ झेल कर माता-पिता बच्चों को बड़ा करते हैं और जब वही बच्चे अपने पालकों को घर से निकालते हैं तो ईश्वर का अभिशाप उन्हें मिलता है लेकिन समाज में ऐसे भी लोग हैं जो ऐसे वृद्ध लोगों को अपने माता पिता के समान उन्हें सम्मान देते हैं बिलासपुर के राजकिशोर नगर में माता रानी की कुटिया आज समाज के लिए एक मिसाल बना हुआ है.. जहां बिना किसी शासकीय सहयोग के बुजुर्ग महिलाओं को आश्रय देने का काम किया जा रहा है महिलाओं द्वारा संचालित किया जा रहा यह आश्रम विगत 15 वर्षों से बिलासपुर में संचालित हो रहा है.. माता रानी की कुटिया आश्रम की अध्यक्ष एम वी लक्ष्मी और कोषाध्यक्ष नीतू दुबे के प्रयासों से अपनों से दूर हो चुके वृद्ध महिलाओं को ससम्मान आश्रय देकर जीवन के अंतिम पड़ाव को सुखद बनाने का काम किया जा रहा है.. आज माता रानी की कुटिया वृद्धाश्रम में आज अलग-अलग जगहों से आए 12 बुजुर्ग महिलाओं का स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया जहां उन्हें सम्मानित का माता रानी की कुटिया आश्रम में प्रवेश दिया गया. आश्रम के संचालकों ने जानकारी देते हुए बताया कि बिलासपुर जिले से तीन वृद्ध महिलाएं और अलग-अलग जगहों से 9 वृद्ध महिलाओं का प्रवेश आश्रम में किया गया है अब तक उन्हें शासन से किसी भी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं होती है लेकिन आपसी सहयोग से वे इस आश्रम को विगत 15 सालों से संचालित कर रहे हैं.. ऐसी खबरें जब भी मीडिया के माध्यम से कानों तक पहुंचती है तो मन की चेतना को एक अलग अनुभव का एहसास होता है कि क्या जन्म देने के समय मृत्यु से अधिक पीड़ा सहने वाली मां को घर से निकालने वालों को क्या कभी सुख की अनुभूति हो सकती है या फिर जब वे बच्चे जिन्होंने अपने माता-पिता को घर से निकाला है उनकी संतान हो जाए तो वह अपने भविष्य की किस तरह से उम्मीद कर सकते हैं.|