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    *जनहित के मुद्दे को छोड़कर अपनी ही राजनीति में उलझी बिलासपुर एनसीपी.. जनता सरोकार तो कैसे दिखाएंगे चुनाव में अपनी मौजूदगी*.

    बिलासपुर cgatoznews…राजनीतिक पार्टियां जब तक जनता के मुद्दों को लेकर जनता के बीच नहीं उतरती है तब तक जनता का विश्वास जीतने में वह सफल नहीं हो पाती है लेकिन जब किसी पार्टी के नेता स्थानीय जनहित के मुद्दों को लेकर सड़क पर उतरती है तो शहर की आम जनता उससे जुड़ कर उसे अपना प्रतिनिधित्व के रूप में देखती है लेकिन छत्तीसगढ़ में अपनी जगह तलाश रही एनसीपी पार्टी शायद अपनी ही राजनीति में उलझती नजर आ रही है इसलिए तो शहर की ज्वलनशील मुद्दों को छोड़कर महाराष्ट्र के एक नेता की गिरफ्तारी पर एनसीपी के नए नवेले नेताओं द्वारा राजनीति किया जा रहा है.. चंद मुट्ठी भर लोगों को लेकर आगामी चुनाव में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की बात करने वाले एनसीपी के नेता अब तक बिलासपुर की जनता और उसके दर्द से नहीं जुड़ पाए हैं इस कारण कहने के लिए पार्टी तो बड़ी है लेकिन पार्टी में एक भी नामचीन चेहरा शहर में नजर नहीं आता है जो लोगों के हित के लिए सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ता दिखाई दे.. चुनाव के पहले बहुत सारे नेता बरसाती मेंढक की तरह सामने आते हैं और उसके बाद गुम हो जाते हैं यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अगर जल्द ही एनसीपी के नेता बिलासपुर के जनता की आवाज को उठाने में नाकामयाब रहे तो वह भी इसी कतार पर खड़े नजर आएंगे.. आज तक घर-घर जाकर ना लोगों को एनसीपी ने जोड़ा है और ना ही जनहित के मुद्दों को लेकर या बदलाव को लेकर सड़क पर उतरे हैं फिर आखिर सवाल उठता है कि अपने पार्टी के नेता के समर्थन में छत्तीसगढ़ में विरोध प्रदर्शन करने वाले एनसीपी के नेता शहर की जनता को कैसे अपने पक्ष में कर पाएंगे.. यह भी कहना गलत ना होगा कि पार्टी के मीडिया प्रभारी को यह भी पता नहीं कि बिलासपुर में कितने मीडिया प्रतिनिधि मौजूद हैं तो फिर यह कैसे हो सकता है कि एनसीपी के नए नवेले नेता अपनी बातों को जन जन तक पहुंचा पाएंगे..

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    बिलासपुर cgatoznews...राजनीतिक पार्टियां जब तक जनता के मुद्दों को लेकर जनता के बीच नहीं उतरती है तब तक जनता का विश्वास जीतने में वह सफल नहीं हो पाती है लेकिन जब किसी पार्टी के नेता स्थानीय जनहित के मुद्दों को लेकर सड़क पर उतरती है तो शहर की आम जनता उससे जुड़ कर उसे अपना प्रतिनिधित्व के रूप में देखती है लेकिन छत्तीसगढ़ में अपनी जगह तलाश रही एनसीपी पार्टी शायद अपनी ही राजनीति में उलझती नजर आ रही है इसलिए तो शहर की ज्वलनशील मुद्दों को छोड़कर महाराष्ट्र के एक नेता की गिरफ्तारी पर एनसीपी के नए नवेले नेताओं द्वारा राजनीति किया जा रहा है.. चंद मुट्ठी भर लोगों को लेकर आगामी चुनाव में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की बात करने वाले एनसीपी के नेता अब तक बिलासपुर की जनता और उसके दर्द से नहीं जुड़ पाए हैं इस कारण कहने के लिए पार्टी तो बड़ी है लेकिन पार्टी में एक भी नामचीन चेहरा शहर में नजर नहीं आता है जो लोगों के हित के लिए सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ता दिखाई दे.. चुनाव के पहले बहुत सारे नेता बरसाती मेंढक की तरह सामने आते हैं और उसके बाद गुम हो जाते हैं यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अगर जल्द ही एनसीपी के नेता बिलासपुर के जनता की आवाज को उठाने में नाकामयाब रहे तो वह भी इसी कतार पर खड़े नजर आएंगे.. आज तक घर-घर जाकर ना लोगों को एनसीपी ने जोड़ा है और ना ही जनहित के मुद्दों को लेकर या बदलाव को लेकर सड़क पर उतरे हैं फिर आखिर सवाल उठता है कि अपने पार्टी के नेता के समर्थन में छत्तीसगढ़ में विरोध प्रदर्शन करने वाले एनसीपी के नेता शहर की जनता को कैसे अपने पक्ष में कर पाएंगे.. यह भी कहना गलत ना होगा कि पार्टी के मीडिया प्रभारी को यह भी पता नहीं कि बिलासपुर में कितने मीडिया प्रतिनिधि मौजूद हैं तो फिर यह कैसे हो सकता है कि एनसीपी के नए नवेले नेता अपनी बातों को जन जन तक पहुंचा पाएंगे..