चंद्र दिवस श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर चकरभाठा में धूम धाम से मनाया गया
कार्यक्रम की शुरुआत रात्रि 7:00 बजे भगवान झूलेलाल बाबा गुरमुखदास जी के फोटो पर माला पहनाकर कर दीप प्रज्वलित करके की गई
कार्यक्रम में संतलाल साई जी के द्वारा अपनी अमृतवाणी में
एक कथा सुनाई
की एक गांव में एक मंदिर था भगवान झूलेलाल का उस गांव का रहने वाला मोहन उस मंदिर में प्रतिदिन सेवा करने जाता था
उसका प्रति दिन नितनेम था
जब वह मंदिर में सेवा कर रहा था तो उसकी घरवाली बच्चे को लेकर कहीं जा रही थी रास्ते में बच्चे का एक्सीडेंट हो गया घर से फोन आया सेवादारी थोड़ा उदास हुआ फिर मंदिर में बैठे भगवान को देखा मन ही मन भगवान से प्रार्थना कि वह अपनी सेवा में लग गया दूसरे सेवादार ने कहा तुम जाओगे नहीं क्या
मोहन ने कहा नहीं मुझे अपने भगवान पर विश्वास है वही सब देखेंगे
कुछ दिन बाद बच्चा ठीक हो गया फिर एक दिन वह मंदिर में सेवा करने आया फिर से उस बच्चे का एक्सीडेंट हो गया फिर घर से फोन आया मोहन ने कहा मुझे चिंता नहीं है चिंता वह करेगा जिसके दर पर मैं आया हूं
मैंने भगवान पर पूरा भरोसा है वही मेरे बच्चे की रक्षा करेंगे
घर पहुंचा बच्चा डॉक्टर से चेकअप करवा कर आया फिर दो 4 दिन बाद बच्चा फिर से ठीक हो गया
तीसरी बार फिर उसकी खराब हो गई डॉक्टर से दवा लिया डॉक्टर ने कहा अब जो कुछ है वह भगवान के ऊपर है हमारे हाथ में कुछ नहीं है मोहन ने बच्चे को उठाया
सीधा मंदिर पहुंच गया भगवान के चरणों में अपने बच्चे को सुला दिया और कहा हैं प्रभु आपकी संतान हैं अब आप ही को इसकी रक्षा करनी है
और वहीं पर भक्ति में लीन हो गया संत जी ने आकर देखा ओर पूछा क्या हुआ मोहन के बेटे को
सेवादर ने सारी बात बताई संत जी ने भगवान के चरणों में रखा जल उठाया और मन में ध्यान लगा कर उस जल को बच्चे के मुख् में डालकर पिलाया कुछ ही समय बाद चमत्कार हुआ बच्चा उठ खड़ा हुआ
उपस्थित सभी लोग चमत्कार देखकर हैरान हो गए भगवान के जय जयकारों के नारे लगाने लगे
दूसरे सेवादार ने पूछा संत जी से आपने कौन से जल पिलाया है इस बच्चे को
संत जी ने कहा रामू मैंने अपने मंदिर के अंदर जो कुवा है ना वही का जल लेकर मैंने प्रभु से मन ही मन प्रार्थना की हे प्रभु यह आपका बालक है आपके चरणों में आया है आप का सेवादार का बेटा है इसकी रक्षा करो और चाहे तो उसके बदले में मेरे प्राण ले लो पर इस बच्चे के प्राण बचा लो
उस पालनहार ने इस दास की पुकार सुन ली और इस बच्चे का प्राण बचा लिए
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर आप सच्चे मन से भगवान की पूजा अर्चना करते हैं तो आपके हर दुख में भगवान हमेशा आपके साथ खड़े होते हैं बस जरूरत है दिल को दिल से मिलाने की भगवान को सच्चे मन से याद करने से सच्ची पूजा अर्चना करने से भगवान हमेशा आपके साथ हैं इस आंखों से दिखाई नहीं देंगे वह भक्ति की आंखों से दिखाई देते हैं वो भक्तों के सारे कार्य दुख दर्द दूर कर देते हैं कोई संत अगर किसी को कुछ कहता है तो उसके भले के लिए कहता है कुछ करता है तो उसके भले के लिए करता है लेकिन वह अनजान भक्त संत की लीला को समझ नहीं पाते हैं जैसे भगवान कई रूपों में आकर अनेक लीलाएं करते हैं उसी तरह संत भी अपनी मौज में आकर भक्तों के संग अलग अलग कई लीलाएं करते हैं अपने सच्चे भक्तों की परीक्षा भी लेते हैं अपने भक्तों का दुख दर्द दूर कर देते हैं सबसे सरल और जल्दी प्रसन्न होने वाले हमारे भगवान झूलेलाल हैं जो दर पर आया है किसी भी जाति धर्म का हो वह कभी खाली नहीं गया है मनोकामना जरूर पूरी हुई है संतो के चरणों में भगवान के दर पर सच्चे मन से मत्था टेकने से आधे दर्द दुख तो वहीं दूर हो जाते हैं
कहते हैं कि संतों के माध्यम से भगवान के दर्शन होते हैं लेकिन सिंधी समाज में उल्टा है हमें भगवान श्री झूलेलाल के माध्यम से संत मिले हैं
जल के अवतार हैं जिस तरह जल किसी भी जाति धर्म पर भेदभाव नहीं करता है सब का समान अधिकार है उसी तरह भगवान झूलेलाल के सिंधी समाज के नहीं बल्कि संपूर्ण समाज के सभी धर्मों के भगवान हैं वह कभी भी किसी से भेदभाव नहीं करते हैं जो भी आता है सच्चे मन से अपने आस लेकर उसकी आश पूरी करते हैं
भोपाल मध्य प्रदेश के मशहूर भगत भाई सुनील के द्वारा भक्ति में कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई
भाई सुनील ने भक्ति भरे कई भजन गाए
चंद्र आया है भगवान झूलेलाल का यह मेला झूलन का हमेशा लगता ही रहेगा
बाबा गुरमुखदास मुखे चादर में ढक जाए
पहनजे चरणों में रख जाएं
ज्योति वारा झूलेलाल मुहंजा प्यारा झूलेलाल दिल में याद आई झूलेलाल
सुहरणा साई लाल साई मा वना तोसा बलिहार
पंखिड़ा ओ पंखिड़ा
ऐसे कई भक्ति भरे भजन गाए जिसे सुनकर भक्तजन झूम उठे
व सिंधी सेज पर झूमने लगे भक्तों के संग साई जी भी झुमने लगे
इस अवसर पर पूज्य सिंधी पंचायत चकरभाठा के अध्यक्ष प्रकाश जेसवानी जी के द्वारा ज्ञान वर्धक
एक लघु कथा सुनाई गई
आखिर में आरती की गई विश्व कल्याण के लिए पल्लो पाया गया
बहराणा साहब को मंदिर से ढोल बाजे के साथ लेकर तलाब पहुंचे
यहां पर विधि विधान के साथ साइ जी के द्वारा बहराणा साहब को विसर्जन किया गया वह अखंड ज्योत को तराया गया
आखिर में प्रसाद वितरण व भगवान भोग लगा भोजन भक्तों को वितरण किया गया
भक्तों ने कहा यहां आकर साईं जी की अमृतवाणी से सत्संग सुना आत्मा भी तृप्त हो गई वह प्रभु का भोजन ग्रहण करके मन भी शांत हुआ
इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बिलासपुर मुंगेली चकरभाटा बिल्हा भाटापारा तिल्दा रायपुर तखतपुर दुर्ग भिलाई से सीमित संख्या में भक्तजन पहुंचे
कार्यक्रम का सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव प्रसारण किया गया घर बैठे हजारों की संख्या में भक्तों ने कार्यक्रम को देखा इस
पूरे आयोजन को सफल बनाने में
बाबा गुरमुखदास सेवा समिति झूलेलाल महिला सखी सेवा ग्रुप
के सभी सदस्यों का विशेष योगदान रहा