भारतीय किसान संघ पूरे देश में 8 सितंबर को देशव्यापी आंदोलन करने जा रहा है। भारतीय किसान संघ, छत्तीसगढ़ के प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में तय किया गया की छत्तीसगढ़ के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री के नाम पर ज्ञापन सौंपा जायेगा। इसके साथ ही प्रदेश की समस्याएं खाद, बीजली, पिछले वर्ष कम किये रकबे में सुधार आदि को लेकर मुख्यमंत्री के नाम पर ज्ञापन सौंपा जायैगा।
किसानों ने हाड तोड़ परिश्रम करके देश के भंडार भर दिये है अब तो सरकार के पास भण्डारण की व्यवस्था नहीं है। हम देख रहे हैं कि खेती में लागत बढ़ती जा रही है खाद, बीज, कीटनाशक मजदूरी, डीजल, बीजली आदि सभी के भाव में वृद्धी हो गई है किंतु किसान के उपज का पर्याप्त मूल्य आज भी नहीं मिल पा रहा है। ऐसी स्थिति के कारण किसान दिन प्रतिदिन कर्जदार होते जा रहा है।
भारतीय किसान संघ का स्थापना काल से यह मानना है जब तक किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य नहीं मिलेगा तब तक किसानों की स्थिति नहीं सुधर सकती। आज किसानों की माली हालत बहुत कमजोर हो गई है परिवार बढ़ने के कारण बड़े किसान लघु एवं लघु किसान सीमांत हो गए है। देश में आज 86 प्रतिशत छोटे किसान है जिनकी वर्ष भर की आय इतनी भी नहीं है की अपना घर ठिक से चला सके।
इन सभी बातों पर विचार करने के पश्चात् भारतीय किसान संघ केंन्द्र सरकार से मांग करता है की न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देने कानून बनाया जाए।
इसके साथ ही भारतीय किसान संघ नये कृषि कानूनों में कुछ संशोधनों की मांग करता है जो इस प्रकार है। एक बार घोषित मूल्य के बाद उसके आदानों में होने वाली महंगाई का भुगतान के समय समायोजन कर महंगाई के अनुपात में वास्तविक मूल्य दिया जाए। घोषित मूल्य पर किसानों के उपज को खरीदी की व्यवस्था हो किसान की फसल मंडी में विक्रय या फिर बाहर विक्रय हो या की सरकार खरीदे, घोषित मूल्य से कम पर खरीदी ना हो। यदि घोषित मूल्य से कम पर खरीद हो तो उसे आपराधिक माना जाए। एक देश एक व्यापार कानून में संशोधन कर उसके अन्तर्गत व्यापार करने वाले सभी व्यापारियों का एक पोर्टल जिसके अंदर सभी का पंजियन हो एवं बैंक सिक्योरिटी मनी जमा रहे ताकि असली व फर्जी की पहचान की जा सके। जिला स्तर पर कृषि न्यायलय का गठन किया जाए ताकि किसानों को उनके जिलों के अंदर सभी प्रकार के विवादों का निपटारा जिले के अंदर ही शीघ्र हो जाए। आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत बड़े निर्यातकों को भण्डारण में दी गई छूट को नियंत्रित किया जाए। इन संशोधनों के साथ नये कृषि कानून को लागू किया जाए।