वर्धा, 05 सितंबर, 2021 भारत के शिक्षा मंत्री धमेंद्र प्रधान ने कहा है कि महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा से भारतीय भाषाओं के विकास एवं शिक्षण में उनकी भूमिका को लेकर बड़ी अपेक्षाएँ हैं। उन्होंने विश्वास प्रकट किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसरण में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा इस दिशा में नेतृत्वकारी भूमिका निभायेगा। श्री प्रधान ने यह विश्वास शुक्रवार को केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ आभासी बैठक में व्यक्त किया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय भाषाओं में पठन-पाठन को बढ़ावा देने की दिशा में जो यत्न हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा कर रहा है, उसका अनुगमन सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को करना चाहिए और भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित एवं समृद्ध करने में योगदान करना चाहिए।
बैठक में हिंदी विश्वविद्यालय की तरफ से केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया गया कि आरक्षित श्रेणी में कोई बैकलॉग नहीं है और रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। विश्वविद्यालय ने कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन शिक्षण का सुव्यवस्थित प्रबंध किया। सभी ऑनलाइन कक्षाएँ निर्बाध रूप से चलती रही हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय ने अत्याधुनिक तकनीक से युक्त आईसीटी कक्षा कक्ष विकसित किए हैं। विश्वविद्यालय ने प्रवेश व परीक्षा का पूर्णतः सफल ऑनलाइन प्रबंधन भी किया है। विश्वविद्यालय ने कोविड-19 के दौरान टीकाकरण का विधिवत प्रबंध किया है और शत प्रतिशत लक्ष्य के साथ इस दिशा में अग्रसर है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जारी होने के साथ-साथ उसके क्रियान्वयन की दिशा में प्रयास हिंदी विश्वविद्यालय ने प्रारंभ कर दिए थे और उसे अकादमिक सत्र 2021-22 से लागू कर दिया गया है। इसके लिए हिंदी विश्वविद्यालय ने अनेक राष्ट्रीय वेब संगोष्ठियाँ आयोजित की और चार पुस्तकों का प्रकाशन किया। ये पुस्तकें हैं- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: एक सिंहावलोकन, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: क्रियान्वयन सूत्र, शिक्षा जो स्वर साध सके, भारतीय ज्ञान परंपरा और विचारक। कोविड-19 महामारी की अवधि में हिंदी विश्वविद्यालय में 225 राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठियाँ आयोजित की गई हैं।