,बिलासपुर के सिरगिट्टी में रहने वाली शातिर महिला ने अपने पति के साथ मिलकर कर जमीन विक्रेता हरेंद्र सिंह को ब्लैकमेल करने लगी। इसका खुलासा तब हुआ जब जमीन के लालच में अंधी हो कर एसपी, आई, और डीजीपी से शिकायत की। जब इस मामले की जानकारी पीड़ित पक्ष को हुई तो पीड़ित ने दस्तावेज के साथ पुलिस के उच्च अधिकारियों के पास शिकायत किया। पुलिस के आला अधिकारी ने सिरगिट्टी थाना प्रभारी को जांच करने का आदेश दिया। पुलिस ने शातिर महिला के द्वारा की गई शिकायतों की पारदर्शी एवं निष्पक्ष जांच करने घटना स्थल पर पहुंच कर मौजूद घटना स्थल पर लोगों की बयान लेने से पता चला कि महिला ने जो आरोप लगाई थी वह झूठी थी महिला जमुना यादव ने थाने में कर लिया। यह सारा खेल महिला ने रजिस्ट्री की पेपर लेने के लिए मन गढ़ंत कहानी रची थी। जबकि सच बात तो यह है कि महिला ने जमीन की रजिस्ट्री करा ली और रुपये देने के लिए आना कानी करने लगी। जिससे बिक्रेता ने जमीन की ओरिजिनल पेपर अपने पास रख लिया। महिला ने रुपये न दे कर झूठी शिकायत कर दिया। थाना प्रभारी फैजुल शाह ने तत्परता दिखाते हुए दूध का दूध पानी का पानी कर दिया।
मंशा राम अपनी शातिर पत्नी के साथ मिलकर यह सारा खेल खेला। भूमि विक्रेता हरेन्द्र सिंह को तमाम हथकंडा अपनाते हुए ब्लैकमेल कर प्रताड़ित कर रहा था। सूत्रों की माने तो अपने आप को पीड़िता बताने वाली शातिर महिला ने जो चेक नम्बर रजिस्ट्री दस्तावेजो में दर्शाया है,वो चेक चोरी का है, तथा किसी अन्य व्यक्ति के खाते का है, जिसका भुगतान विक्रेता हरेन्द्र सिंह को अभी तक प्राप्त नही हुआ है ! वही झूठा आरोप लगाकर हरेंद्र सिंह की छवि को धूमिल करना चाहती है तथा महिला ने क्रय की गयी भूमि की राशि देना ही नही चाहती है। महिला होने के कारण भूमि विक्रेता से 2 लाख रुपये की मांग कर रही है । थाना प्रभारी सिरगिट्टी की जांच निष्पक्ष रही। महिला द्वारा थाना प्रभारी के खिलाफ पुलिस के उच्च अधिकारियों से शिकायत के वावजूद थाना प्रभारी सिरगिट्टी ने किसी भी दबाव में न आकर निष्पक्ष जांच कर परिणामो पर भरोसा करते हुये जांच परिणामो से अपने उच्च अधिकारियों को अवगत कराते हुये एक निर्दोष भूमि विक्रेता हरेन्द्र सिंह को जेल जाने से बचा लिया ।
सत्य को सभी को स्वीकार करना होगा कि यदि किसी भी महिला की शिकायत पर सच मानकर यदि पुलिस कार्यवाही करने लगी तो कभी भी कोई भी महिला किसी निर्दोष को भी जेल भेजने का अवरत सिलसिला शुरू हो जायेगा, न्यायालय, थाना, सहित तमाम बुद्ध जीवी इस सच को जानते है कि कोई कोई महिला अपने अधिकारों का व्यापक़ स्तर पर दुरुपयोग करते पायी गयी है ! एक ओर कानून यदि यह कहता है कि, महिला के साथ घटित अपराध पर तुरन्त FIR दर्ज होनी चाहिये वंही दूसरी ओर कानून यह भी कहता है कि भले ही लाख आरोपी बरी हो जाये ?लेकिन कोई भी निर्दोष को सजा नही मिलनी चाहिये, ओर उपरोक्त मामले की जांच में तो यह सच पाया गया है कि तदाकथित पीड़िता द्वारा बताया गया अपराध घटित हुआ ही नही तो FIR किस बात की ? भला हो थाना प्रभारी सिरगिट्टी का,जिन्होंने निष्पक्ष ओर तदाकथित महिला की उपस्थिति में न केवल निष्पक्ष जांच की है बल्कि एक निर्दोष को जेल जाने से बचाया है