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    *भारतीय किसान संघ के तत्वावधान में जिला स्तरीय बीज संवर्धन एवम संरक्षण (बीज आयाम) की परिचर्चा मस्तूरी विकास खंड के ग्राम रिसदा में सम्पन्न हुई*।

    कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता एवम किसानों के देवता भगवान बलराम जी के तैलचित्र पर पूजन अर्चन किया गया परिचर्चा के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय बीज आयाम प्रमुख कृष्ण मुरारी ने जिले के किसानों का परिचय एवम उनके द्वारा कृषि उत्पादित फसलों एवम उनके द्वारा किये जा रहे कृषि कार्य के तरीकों के विषय मे पूछा ,जिसमे जिले के अधिकांश किसानों रासायनिक उर्वरक की उपयोगिता के साथ फसल उत्पादन की जानकारी दी ,लेकिन इस जानकारी में एक महत्वपूर्ण जानकारी यह भी निकल कर सामने आया कि ,ग्राम रिसदा में आज भी पूर्व की पारंपरिक खेती अर्थात गौ आधारित जैविक खेती करने की लगभग 95%कृषकों ने जानकारी दी ,साथ ही यह भी बताया कि ,गौ आधारित जैविक खेती करने से ,लागत में कमी एवम उत्पादन रासायनिक खेती के बराबर होना बताया ,कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कृष्ण मुरारी जी ने अपने उदबोधन में कहा कि 100 ग्राम गोबर में 5 लाख जीवाणु रहते है जो विभिन्न प्रकार से खेती करने में किसानों के सहायक होते है और बीजो के उत्पादन में लाभदायक होते है ,उन्होंने कहा “”जैसा खाएं अन्न ,वैसा रहेगा मन्न””अर्थात हमारे भोजन चावल ,दाल ,रोटी ,सब्जी का सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है ,अगर हम रासायनिक उत्पादित बीजो को आहार के रूप में ग्रहण करते है तो हमारे शरीर पर अनेक प्रकार की बीमारियां केंसर ,सूगर, उच्च ,निम्न रक्तचाप हृदय संबंधी बीमारी ,आंखों पर बुरा असर एवम नशों से संबंधित बीमारियों का शिकार होना पड़ता है इसलिए जितना हो सके ,स्वदेशी बीजों का संवर्धन एवम संरक्षण करें ,क्योंकि आज के व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में अनेक प्रकार के ,बीज पेटेंट(हाईब्रिड) करके बनाया एवम बेचा जा रहा है ,प्रतिस्पर्धा के दौर में बीज उत्पादक कंपनियां लुभावने प्रचार कर एक तरफ लाभार्जन कर रही है ,वही दूसरे तरफ मानवीय आहार में विषाक्त भोजन परोशने का कार्य कर रही है ,इसलिए अपने पूर्व के परम्परागत खेती कि तरफ लौटे और बीजों को संरक्षित करे ।
    जिले के उन्नतशील कृषक राघवेंद्र सिंह ने बताया कि गौ आधारित खेती हमारे ग्राम रिसदा में जो पूर्वजों ने विरासत में मिला था उसे आज भी हम उसी आधार पर कर रहे है , उन्होंने बताया कि लगभग 100 वर्ष पुराने बीजो का संग्रहण है जो 50 प्रकार के बीज है ,जिसमें धान ,गेंहू ,अरहर तथा अनेक प्रकार के सब्जियों के बीज एवम फलदार पौधों के बीज संरक्षित है ,उन्होंने बताया कि खेती को और किस प्रकार लाभकारी बनाया जा सकता है ,अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि हम खेती भी व्यापारिक छेत्र में जा सकते है , अगर हम अपने खेतों के मेढ़ या पार पर 25 फिट की दूरी पर फलदार वृक्ष लगाए तो उससे भी लाभ कमाया जा सकता है , पेड़ के पत्ते उर्वरक के रूप में कार्य करते है एवम हमारे पर्यावरण में शुद्धता रहती है , उन्होंने कहा कि अगर छत्तीसगढ़ के कृषक अपने मेढ़ पार पर आम का वृक्ष लगा दें तो पूरे विश्व मे आम की खपत का उत्पादन करने छमता हमारा छत्तीसगढ़ रखता है ।
    बीज आयाम के अखिल भारतीय सदस्य डॉ विशाल चंद्राकर ने भारतीय किसान संघ के संगठनात्मक कार्य शैली पर अपना अभिमत दिया उन्होंने बताया 4 मार्च 1979 को कोटा राजस्थान में भारतीय किसान संघ की स्थापना स्व श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी जी के द्वारा किया गया था ,जो पूरे भारतवर्ष के 525 जिले के अधीनस्थ ग्रामो में फैला है और लगभग 30 लाख किसान संघ के सदस्य है किसान संघ विशुद्ध रूप से गैर राजनीतिक संगठन है जो किसानों का किसानों के लिए और किसानों के द्वारा संचालित राष्ट्रवादी ,राष्ट्रव्यापी संगठन है किसान संघ तीन प्रकार से अपने संगठन को संचालित करता है (1)संगठनात्मक गतिविधियों जिसमे सदस्य बनाना एवम संगठन का विस्तार करना (2)आंदोलनात्मक गतिविधियां जिसमे राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए अहिंसात्मक आंदोलन करना (3)रचनात्मक जिसमे वृक्षारोपण ,जल संवर्धन ,सफाई अभियान ,जन जागरण का कार्य करना होता है ।कार्यक्रम का संचालन एवम आभार प्रदर्शन जिला अध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे ने किया ,कार्यक्रम में प्रदेश के उपाध्यक्ष टेकेंद्र चंद्राकर ,प्रदेश कोषाध्यक्ष गजानन दिघरस्कर ,जिला मंत्री विजय यादव ,कोषाध्यक्ष माधोसिंह ,मस्तूरी विकास खंड अध्यक्ष महेन्द पटेल ,बिल्हा विकास खंड अध्यक्ष महेश यादव ,सोनू तिवारी , पहारू साहू , मनोज सिंह ,आर.एस. पांडेय ,अनिल पटेल ,रविन्द्र सिंह ,धर्मेंद्र सिंह चंदेल , देवेंद्र सिंह, सिद्धार्थ सिंह ,विक्रम सिंह सहित जिले के कृषक उपस्थित थे ।

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    कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता एवम किसानों के देवता भगवान बलराम जी के तैलचित्र पर पूजन अर्चन किया गया परिचर्चा के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय बीज आयाम प्रमुख कृष्ण मुरारी ने जिले के किसानों का परिचय एवम उनके द्वारा कृषि उत्पादित फसलों एवम उनके द्वारा किये जा रहे कृषि कार्य के तरीकों के विषय मे पूछा ,जिसमे जिले के अधिकांश किसानों रासायनिक उर्वरक की उपयोगिता के साथ फसल उत्पादन की जानकारी दी ,लेकिन इस जानकारी में एक महत्वपूर्ण जानकारी यह भी निकल कर सामने आया कि ,ग्राम रिसदा में आज भी पूर्व की पारंपरिक खेती अर्थात गौ आधारित जैविक खेती करने की लगभग 95%कृषकों ने जानकारी दी ,साथ ही यह भी बताया कि ,गौ आधारित जैविक खेती करने से ,लागत में कमी एवम उत्पादन रासायनिक खेती के बराबर होना बताया ,कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कृष्ण मुरारी जी ने अपने उदबोधन में कहा कि 100 ग्राम गोबर में 5 लाख जीवाणु रहते है जो विभिन्न प्रकार से खेती करने में किसानों के सहायक होते है और बीजो के उत्पादन में लाभदायक होते है ,उन्होंने कहा ""जैसा खाएं अन्न ,वैसा रहेगा मन्न""अर्थात हमारे भोजन चावल ,दाल ,रोटी ,सब्जी का सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है ,अगर हम रासायनिक उत्पादित बीजो को आहार के रूप में ग्रहण करते है तो हमारे शरीर पर अनेक प्रकार की बीमारियां केंसर ,सूगर, उच्च ,निम्न रक्तचाप हृदय संबंधी बीमारी ,आंखों पर बुरा असर एवम नशों से संबंधित बीमारियों का शिकार होना पड़ता है इसलिए जितना हो सके ,स्वदेशी बीजों का संवर्धन एवम संरक्षण करें ,क्योंकि आज के व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में अनेक प्रकार के ,बीज पेटेंट(हाईब्रिड) करके बनाया एवम बेचा जा रहा है ,प्रतिस्पर्धा के दौर में बीज उत्पादक कंपनियां लुभावने प्रचार कर एक तरफ लाभार्जन कर रही है ,वही दूसरे तरफ मानवीय आहार में विषाक्त भोजन परोशने का कार्य कर रही है ,इसलिए अपने पूर्व के परम्परागत खेती कि तरफ लौटे और बीजों को संरक्षित करे । जिले के उन्नतशील कृषक राघवेंद्र सिंह ने बताया कि गौ आधारित खेती हमारे ग्राम रिसदा में जो पूर्वजों ने विरासत में मिला था उसे आज भी हम उसी आधार पर कर रहे है , उन्होंने बताया कि लगभग 100 वर्ष पुराने बीजो का संग्रहण है जो 50 प्रकार के बीज है ,जिसमें धान ,गेंहू ,अरहर तथा अनेक प्रकार के सब्जियों के बीज एवम फलदार पौधों के बीज संरक्षित है ,उन्होंने बताया कि खेती को और किस प्रकार लाभकारी बनाया जा सकता है ,अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि हम खेती भी व्यापारिक छेत्र में जा सकते है , अगर हम अपने खेतों के मेढ़ या पार पर 25 फिट की दूरी पर फलदार वृक्ष लगाए तो उससे भी लाभ कमाया जा सकता है , पेड़ के पत्ते उर्वरक के रूप में कार्य करते है एवम हमारे पर्यावरण में शुद्धता रहती है , उन्होंने कहा कि अगर छत्तीसगढ़ के कृषक अपने मेढ़ पार पर आम का वृक्ष लगा दें तो पूरे विश्व मे आम की खपत का उत्पादन करने छमता हमारा छत्तीसगढ़ रखता है । बीज आयाम के अखिल भारतीय सदस्य डॉ विशाल चंद्राकर ने भारतीय किसान संघ के संगठनात्मक कार्य शैली पर अपना अभिमत दिया उन्होंने बताया 4 मार्च 1979 को कोटा राजस्थान में भारतीय किसान संघ की स्थापना स्व श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी जी के द्वारा किया गया था ,जो पूरे भारतवर्ष के 525 जिले के अधीनस्थ ग्रामो में फैला है और लगभग 30 लाख किसान संघ के सदस्य है किसान संघ विशुद्ध रूप से गैर राजनीतिक संगठन है जो किसानों का किसानों के लिए और किसानों के द्वारा संचालित राष्ट्रवादी ,राष्ट्रव्यापी संगठन है किसान संघ तीन प्रकार से अपने संगठन को संचालित करता है (1)संगठनात्मक गतिविधियों जिसमे सदस्य बनाना एवम संगठन का विस्तार करना (2)आंदोलनात्मक गतिविधियां जिसमे राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए अहिंसात्मक आंदोलन करना (3)रचनात्मक जिसमे वृक्षारोपण ,जल संवर्धन ,सफाई अभियान ,जन जागरण का कार्य करना होता है ।कार्यक्रम का संचालन एवम आभार प्रदर्शन जिला अध्यक्ष धीरेन्द्र दुबे ने किया ,कार्यक्रम में प्रदेश के उपाध्यक्ष टेकेंद्र चंद्राकर ,प्रदेश कोषाध्यक्ष गजानन दिघरस्कर ,जिला मंत्री विजय यादव ,कोषाध्यक्ष माधोसिंह ,मस्तूरी विकास खंड अध्यक्ष महेन्द पटेल ,बिल्हा विकास खंड अध्यक्ष महेश यादव ,सोनू तिवारी , पहारू साहू , मनोज सिंह ,आर.एस. पांडेय ,अनिल पटेल ,रविन्द्र सिंह ,धर्मेंद्र सिंह चंदेल , देवेंद्र सिंह, सिद्धार्थ सिंह ,विक्रम सिंह सहित जिले के कृषक उपस्थित थे ।